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Short Stories In Hindi – Interesting Hindi Short Stories

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Written by Abhishri vithalani

Short Stories In Hindi – Interesting Hindi Short Story

अगर आप हिंदी में Short Story (Short Stories In Hindi) ढूंढ रहे है तो आप को यहां पर बहुत अच्छी Short Stories मिल जाएगी । यहाँ पर आपको बच्चो के लिए भी Short Stories मिल जाएगी । हर कहानी को पढ़ने से आपको कुछ न कुछ जरूर सीखने को मिलेगा ।

ये कहानिया पढ़कर आपको जो भी ज्ञान मिलेगा वो आपके वास्तविक जीवन में भी काम आएगा । हम उम्मीद करते है की आपको हमारी Stories (Short Stories In Hindi)  पसंद आए ।

  • सोचने का तरीका – Short Story In Hindi

जिंदगी में कई बार ऐसा होता है की जब हम अपने सोचने का तरीका बदलते है तब हमारी जिंदगी भी बदल जाती है । जिंदगी में जो कुछ भी होता है वो सिर्फ 1 % ही होता है बाकि 99 % तो हम जो हुआ है उसके बारे में क्या सोचते है यानि की हमारा Reaction ही होता है ।

एक लड़का था जो देख नहीं सकता था । ये लड़का भीख मांगकर अपना जीवन गुजारता था । एक दिन ये अँधा लड़का हर रोज की तरह एक बड़ी सी Building के आगे बैठकर भीख मांग रहा था । उसी समय वहा से एक अनमोल नामका लड़का गुजरता है और इस अंधे लड़के को भीख मांगता हुआ देखता है ।

अनमोल उसी Building में एक ऑफिस में काम करता था । जब अनमोल ने देखा की ये लड़का भीख मांग रहा है तो वो उसकी मदद करने के लिए उसके पास पहुँचता है । अनमोल वहा जाकर देखता है की इस लड़के के पास एक डिब्बा है और उस डिब्बे में थोड़े सिक्के भी है ।

कुछ लोग आते है इस लड़के को पैसे देते है और कुछ लोग उसे बस देखकर ही चले जाते है ।

अनमोल ने ये भी देखा की इस लड़के के पीछे एक बोर्ड लगा हुआ था जिस पर लिखा था की में एक अँधा लड़का हु , मेरी मदद कीजिये । ये सब देखकर अनमोल अब ये सोचने लगा की इस दुनिया में भी बड़े कमाल के लोग है जिसे मदद की जरुरत है उसे कोई नहीं करता है ।

उस बोर्ड पर जो लिखा था उसे वो मिटा देता है और उसकी जगह पर और कुछ लिख देता है । अब अनमोल कुछ पैसे उस डिब्बे में रखता है और ऑफिस की और बढ़ता है ।

फिर अनमोल ऑफिस पहुँचता है और हररोज की तरह अपना काम करता है । शाम को जब वो ऑफिस से अपने घर जाने के लिए निकलता है तभी उसे वो अँधा लड़का याद आता है ।

वो ये सोचता है की में एक बार घर जाने से पहले उस लड़के को देख लू । मेरे लिखने की वजह से उसके जीवन में कोई बदलाव आया है की नहीं । वो अब उस अंधे लड़के के पास जाता है । उसके पहुंचते ही वो लड़का खड़ा हो जाता है ।

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वो कहता है की भैया मेने आपको आपकी आने की आहट से ही पहचान लिया । आप वही है जो सुबह आये थे और मेरे इस बोर्ड पर कुछ लिख कर गए थे । में आपको सिर्फ इतना पूछना चाहता हु की आपने ऐसा क्या लिखा था मेरे बोर्ड पर की जो भी यहाँ से गुजरता है वो मुझे कुछ ना कुछ देकर ही जाता है ।

अनमोल ने कहा की मेने जो तुम्हारे बोर्ड पर लिखा हुआ था उसे मिटा दिया । तुम्हारे बोर्ड पर लिखा हुआ था की में एक अँधा लड़का हु , मेरी मदद कीजिये मेने उसको मिटा दिया और ये लिख दिया की आज का दिन बहुत खूबसूरत है , लेकिन में देख नहीं सकता हु !

हम ये बड़ी आसानी से समज सकते है की पहले जो लिखा था और बाद में अनमोल ने जो लिखा उसमे काफी अंतर था । अनमोल ने जो कुछ भी लिखा था वो एक नयी सोच थी और ये Line पढ़ने वालो में भी Positivity फैला रही थी उसलिए लोग इस लड़के को कुछ न कुछ जरूर देकर ही जाते थे ।

अगर हम हमारे सोचने का तरीका बदल देते है तो हमारी जिंदगी भी बदल जाती है ।

  • मुर्ख मेंढक – Moral Short Story In Hindi

ये कहानी है एक मुर्ख मेंढक की । इस कहानी से हम ये बताने वाले है की हमारी life में सिर्फ सही decision लेना ही काफी नहीं होता है बल्कि हम ये decision किस वक्त पर लेते है यह भी महत्त्वपूर्ण होता है ।

एक दिन एक किसान पेड़ के नीचे पानी गर्म कर रहा था । वो किसान जिस बर्तन में पानी गर्म कर रहा था उसी बर्तन में गलती से मेंढक गिर जाता है ।

उस वक्त पानी ज्यादा गर्म नहीं था इसलिए मेंढक पानी का मजा ले रहा था । कुछ देर के बाद पानी गर्म होने लगा और ये मेंढक भी पानी के तापमान के अनुसार अपनी त्वचा को संतुलित करने लगा ।

जैसे – जैसे पानी का तापमान बढ़ता गया ये मुर्ख मेंढक भी अपने आप को उस पानी में रहने के लिए adjust करता रहा । कुछ देर के बाद पानी ज्यादा मात्रा में गर्म हो गया और ये मेंढक के लिए उस पानी में रहना मुश्किल हो गया ।

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अब मेंढक ने सोचा की वो इस पानी से बहार निकल जायेगा । मेढ़क ने उस गर्म पानी से बहार निकलने के लिए छलांग लगायी पर वो वापिस उसी बर्तन में गिर गया । मेढ़क ने दूसरी बार भी प्रयत्न किया फिर भी वो बहार नहीं निकल पाया ।

बहुत बार प्रयत्न करने के बाद भी वो मेढ़क वापिस उसी बर्तन में गिर जाता था । आखिर में पानी ज्यादा गर्म होने के कारन मेंढक को अपने प्राण गंवाने पड़े ।

इस कहानी से आपको क्या लगता है कि ये मुर्ख मेंढक क्यों बहार नहीं निकल पाया ?

ये मुर्ख मेंढक बहार नहीं आ पाया क्योकि उसने अपनी सारी energy उस बर्तन के गर्म पानी को adjust करने में गँवा दी थी ।

जब उसने बहार आने का सोचा था तब बहुत ज्यादा वक्त बित गया था और उसके पास उस बर्तन में से बहार निकलने के लिए energy ही नहीं बची थी । अगर उसने ये decision पहले लिया होता तो वो बड़ी आसानी से बहार आ सकता था ।

Moral : हमारी life में सिर्फ सही decision लेना ही नहीं पर उसको सही वक्त पर लेना भी महत्त्वपूर्ण होता है ।

  • व्यवस्था – Short Inspirational Story In Hindi

कभी कभी हमें ऐसा लगता है की जो हमारे आस पास चल रहा है वो ठीक नहीं चल रहा है । ये चीज़ ऐसे नहीं बल्कि ऐसे होनी चाहिए । कुछ लोग तो उसे बदलने की कोशिश भी करते है और उसे बदलते भी है । बाद में उन्हें पता चलता है की ये जो पहले से चलता आ रहा था वो ही ठीक था । ये कहानी भी उसी के बारे में है ।

एक बार एक Ship में बहुत सारे पक्षियों को बिठाकर के एक देश में से दूसरे देश में ले जा रहे थे । जब उस Ship को ज्यादा समय लग गया तो उन में से कही सारे पक्षियों को लगने लगा की ये Ship बहुत धीरे चल रही है इससे तो जल्दी हम उड़ कर पहुंच जाएंगे और आगे तेजी से निकल जाएंगे ।

कही सारे पक्षियों ने तो उड़ना शुरू भी कर दिया और वो इस Ship से आगे भी निकल गए । वो Ship से बहुत दूर आगे निकल जाते है । अब वो सारे पक्षि थक जाते है और वो देखते है की यहाँ चारो तरफ पानी ही पानी है ओर कही पर भी पैर टिकाने की जगह नहीं है तो वो सारे पक्षि वापस आके उसी Ship में चुप-चाप बैठ जाते है ।

वो इतना तो जरूर समज जाते है की ये एक व्यवस्था है । इसकी Speed कम या ज्यादा नहीं बल्कि वो अपनी निरंतर गति से चलती है । इसके ऊपर बैठना ही सही है , समय आने पर जहा पहुंचना होगा वहा हम पहुंच जाएंगे ।

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कही लोग अपने समाज और परिवार को गाली देते है , की ये लोग मॉर्डन कब बनेगे , इस लोगो की सोच कब बदलेगी , ये लोग आगे कब बढ़ेंगे । समाज और परिवार भी एक व्यवस्था है वो हमारी गति के हिसाब से नहीं चलता है , उसे आगे बढ़ने में जितना समय लग रहा है हमें उतना समय उसे देना चाहिए । Read More…

  • ईश्वर की योजना – Motivational Short Story In Hindi 

ईश्वर की योजना हमारी योजना से हमेंशा बेहतर ही होती है । Life में कभी कभी ऐसा होता है की हमें जो चाहिए, जिसका हम बहुत समय से इंतज़ार कर रहे होते है , वो हमें मिल तो जाता है लेकिन कुछ ही पल में हमसे वो वापिस भी चला जाता है।

ऐसी स्थिति में हम ईश्वर को कोसने लगते है । हम ईश्वर से कहने लगते है की आपने मेरे साथ ऐसा क्यों किया ? कुछ समय के लिए हमारा भरोसा ईश्वर पर से उठ जाता है । किन्तु कुछ समय के बाद हमें ये एहसास हो जाता है की जो हुआ वो हमारे लिए अच्छा ही था ।

ईश्वर की योजना हमसे अच्छी होती है । हमें ये बात समझनी चाहिए की जो हमारे हाथ से चला गया वो हमारे लिए अच्छा ही नहीं था । ईश्वर ने जो कुछ भी किया वो सोच समझकर ही किया होगा ।

एक छोटा सा 2 साल का बच्चा खेल रहा था । खेलते खेलते उसके हाथ में चूहे मारने की दवाई आ जाती है । बच्चा नादान था वो नहीं जानता था की ये चूहे मारने की दवाई है वो तो इस दवाई को चॉकलेट समझकर खुश हो रहा था । वो इसे खाने ही वाला था की उसकी माँ का ध्यान उसपे गया ।

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माँ ने तुरंत बच्चे के हाथ में से वो चूहे मारने की दवाई छीन ली । बच्चा जोर जोर से रोने लगा । बच्चे के रोने के बावजूद भी माँ ने उसकी एक नहीं सुनी और वो दवाई उसने कही पे छिपा दी।

क्योकि बच्चा नहीं जानता था की ये चॉकलेट नहीं चूहे मारने की दवाई है पर माँ तो जानती थी की ये चूहे मारने की दवाई है और ये मेरे बेटे के लिए सही नहीं है ।

बच्चे को कुछ पल ख़ुशी देने के लिए माँ उसे वो दवाई नहीं दे सकती थी क्योकि वो उसके लिए हानिकारक थी । वैसे ही जब हमारी जिंदगी में हमें कुछ ऐसा मिले जो हमें कुछ पल की ख़ुशी दे और फिर वो वापिस चला जाए तो हमें निराश नहीं होना चाहिए।

तभी हमें यही सोचना चाहिए की हमें जो मिला था वो हमारे लिए अच्छा नहीं था इस चूहे मारने की दवाई जैसा ही था ।

जैसा माँ ने बच्चे के हाथ में से इस चूहे मारने की दवाई को ले लिया , वैसे ही ईश्वर ने हमारे हाथ में से वो ले लिया क्योकि वो हमारे लिए अच्छा नहीं था ।
कभी कभी हमें सही और गलत का फर्क इस नादान बच्चे की तरह पता नहीं चलता है पर जैसे माँ को तो पता था वैसे ईश्वर को सब पता होता है । इसलिए हमें ईश्वर की योजना पर भरोसा रख के हमारे साथ जो हुआ वही हमारे लिए बेहतर था ऐसा सोचना चाहिए ।
  • कोशिश – Short Moral Story In Hindi

हम तब तक नहीं हारते है जब तक हम कोशिश करना छोड़ नहीं देते। क्योकि कोशिश करने वालो की कभी भी हार नहीं होती है। ये कहानी  (कोशिश – Short Moral Story In Hindi)  भी उसी के बारे में है।

एक बार एक छोटे राज्य को एक शक्तिशाली राज्य ने युद्ध के लिए ललकारा। राजा ने अपने सेनापति से सलाह मांगी। सेनापति ने कहा की इतनी बड़ी सेना से युद्ध करना मूर्खता है। फिर सेनापति ने राजा को ये कह दिया की महाराज आत्मसमर्पण ही अंतिम उपाय है।

सेनापति की सलाह से राजा खुश नहीं हुए और उसके बाद वह एक संत के पास गए जिससे वह बहुत मानते थे। राजा ने संत की राय भी मांगी और संत से ये भी कहा की मुझे सेनापति ने आत्मसमर्पण करने के लिए कहा है पर में ऐसा करना उचित नहीं मानता हु।

संत ने उस सेनापति को तुरंत जेल में डालने को कहा और खुद सेनापति बनने का प्रस्ताव दिया। संत की बातो से राजा थोड़े तो हिचके लेकिन उनके पास दूसरा कोई विकल्प ना होने के कारण उन्होंने संत की बातो में ही हामी भर दी।

संत सेना लेकर निकले तो बिच में एक मंदिर पड़ा। उन्होंने सेना से कहा की वे भगवान् से पूछ कर आते है की युद्ध कौन जीतेगा।

मंदिर से वापस आने के बाद लोग उनसे पूछते है की भगवान् ने क्या कहा? संत ने कहा की यदि शाम को मंदिर से रौशनी निकलेगी तो हम युद्ध जित जायेगे।

शाम को ऐसा ही होता है। लोग ये देखकर ऊर्जा और सकारात्मकता से भर जाते है और वह पूरी जान लगाकर लड़ते है और युद्ध भी जीत जाते है।

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युद्ध से वापस लौटते वक्त लोग संत को भगवान् को धन्यवाद कहने भेजते है। लेकिन संत लोगो से कहते है की उसकी कोई जरुरत नहीं है क्योकि मंदिर में दिया मेने ही जलाया था।

अगर सेनापति की बात मानकर राजा ने पहले से ही आत्मसमर्पण कर लिया होता तो उनके मन में हमेशा ये डर रहता की वे उस शक्तिशाली राज्य से कभी भी जीत नहीं सकते और वो निर्बल है। संत ने जिस तरीके से अपनी सेना का हौसला बढ़ाया उस तरीके से हमें अपने आप का हौसला मुश्किल से मुश्किल परिस्थिति में भी बढ़ाना चाहिए। आप तब तक नहीं हारते है जब तक आप कोशिश करना ना छोड़ दे।

चाहे हम जीते या फिर हारे पर हमें कोशिश तो करनी ही चाहिए। क्योकि कोशिश ज्यादातर कामयाब ही होती है। इसलिए हमेशा अपने लक्ष्य तक पहुंचने के लिए कोशिश करते रहो , एक न एक दिन सफलता आपको जरूर मिल जाएगी।

Moral : मन के हारे हार है। मन के जीते जीत। हम तब तक नहीं हारते है जब तक हम कोशिश करना छोड़ नहीं देते।

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Abhishri vithalani

I am a Hindi Blogger. I like to write stories in Hindi. I hope you will learn something by reading my blog, and your attitude toward living will also change.

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