Short Inspiring Story In Hindi – व्यापार में कोई दया नहीं होती
व्यापार में कभी कोई दया नहीं होती है क्योकि दया से कोई व्यापार होता ही नहीं है । इस कहानी ( Short Inspiring Story In Hindi – व्यापार में कोई दया नहीं होती ) में भी ऐसा ही कुछ होता है । कौन सा व्यापार और कैसी दया की बात है वो जानने के लिए आपको पढ़नी होगी ये कहानी ।
रविवार का दिन था । छुट्टी होने की वजह से में उस वक्त घर पर ही था । मेरी माँ हररोज सब्जिया एक सब्जी बेचने वाले आंटी से ख़रीदा करती थी ।
उस दिन भी वो सब्जी बेचने वाले आंटी हमारे घर के पास सब्जी बेचने के लिए आते है । मेरी माँ ने उसे मेथी के बंडल के बारे में पूछा । वो आंटी ने उसकी कीमत 20 रूपये प्रति बंडल कहा ।
मेरी माँ की कीमत उस सब्जी बेचने वाले आंटी की कीमत से ठीक आधी थी । पर मेरी माँ ने उस सब्जी बेचने वाले आंटी से ये भी कहा था की अगर तुमने मुझे १० रूपये प्रति बंडल के दाम में दे दी , तो में तुमसे तीन बंडल खरीदूंगी ।
में देखता रहा , कुछ देर तक तो वो दोनों अपनी – अपनी कीमत पर ही अड़े रहे । सब्जी बेचने वाले आंटी ने मेरी माँ से कहा की इस कीमत पर तो मुझे भी नहीं मिली है , इतना बोलकर वो अपने सिर पर टोकरी रखकर चलने लगते है ।
थोड़ा आगे चलने के बाद सब्जी बेचने वाले आंटी पीछे मुड़ते है और मेरी माँ से कहते है की चलिए 15 रूपये में प्रति बंडल आपको दे देती हु । मेरी माँ तभी भी नहीं मानती है और वो अपना सिर हिलाकर उनसे कहती है की नहीं 10 रूपये प्रति बंडल देना है तो दो वर्ना मुझे नहीं लेनी ।
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सब्जी वाली चली जाती है । वो दोनों एक – दूसरे को अच्छे से जानते थे । सब्जी वाले आंटी थोड़ा आगे जाकर फिरसे पीछे मुड़ते है और हमारे घर तक वापिस आते है । मेरी माँ भी दरवाजे पर उनका ही इंतज़ार कर रही थी । आखिर में सौदा मेरी माँ की बताई हुई कीमत पर ही होता है ।
मेरी माँ मेथी के प्रत्येक बंडल को अच्छे से देखकर उसमे से अच्छे अच्छे तीन बंडल निकालकर अंत में उसे पैसे देते है । सब्जी वाले आंटी ने बिना गिने ही पैसे ले लिए ।
जैसे ही वो निचे से उठते है की उन्हें चक्कर आते है और वो थोड़ा लड़खड़ा ने लगते है । मेरी माँ उससे पूछा की क्या तुमने सुबह से खाना नहीं खाया । सब्जी वाले आंटी ने कहा , जी नहीं आज की कमाई से ही में चावल खरीदने वाली हु और घर जाकर खाना बनाने वाली हु ।
माँ ने उसे बैठने के लिए कहा और वो अंदर जाकर उनके लिए खाना लेकर आते है । माँ में उस सब्जी वाले आंटी को अच्छे से खाना खिलाया और अंत में उसे पानी पिलाकर भेजा । सब्जी वाली भी बहुत खुश हो गयी और उसने मेरी माँ को अंत में धन्यवाद कहा ।
में ये सब देखकर हैरान रह गया । मेने उसने जाते हुए ही मेरी माँ से पूछा की आप 5 रूपये के लिए इतना मोल – भाव कर रहे थे और महंगा भोजन उन्हें इतनी आसानी से दे लिया ।
तभी मेरी माँ ने मुझे कहा की बेटा व्यापार में कभी कोई दया नहीं होती है क्योकि दया से कोई व्यापार होता ही नहीं है ।
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