झूठ लेकिन इरादा नेक – Short Inspirational Story In Hindi
आपने ऐसा तो सुना ही होगा की झूठ बोलने से पाप लगता है । लेकिन अगर हमारे झूठ बोलने के पीछे हमारा इरादा नेक हो तो हमें झूठ बोलने पर भी पुण्य मिलता है । ये कहानी (झूठ लेकिन इरादा नेक – Short Inspirational Story In Hindi) उसी के बारे में है ।
एक किसान की फसल अतिवृष्टि के कारण बर्बाद हो जाती है । उस किसान के छोटे – छोटे दो बच्चे थे । उसके घर पर एक अन्न का दाना भी नहीं बचा था । गाँव में ऐसा कोई नहीं था की जो किसान की सहायता कर पाए ।
किसान अपने छोटे – छोटे बच्चो के बारे में सोचकर बहुत परेशान हो जाता है । उसे समज में नहीं आ रहा था की में क्या करू ?
जब किसान को कोई उपाय सूझा नहीं तब वो एक रात जमींदार के बाड़े में जाकर उसकी एक गाय चुरा कर ले आता है । जब सुबह होती है तब वो किसान गाय का दूध दूहकर अपने बच्चों को भरपेट पिलाता है ।
दूसरी ओर जमींदार के नौकरों को पता चल जाता है की किसान ने जमींदार की गाय चुराई है । जमींदार के नौकर जमींदार से उस किसान की शिकायत करते है ।
जमींदार ने पंचायत में किसान को बुलाया । वहा पर पंचों ने उस किसान से पूछा की तुम यह गाय कहा से लाए ? किसान ने कहा की इसे में दूसरे गाँव से खरीदकर लाया हु ।
पंचों ने किसान को बहुत घुमा-फिरकर सवाल किया, किन्तु किसान इसी जवाब पर अडिग रहा । फिर पंचों ने जमींदार से पूछा , क्या ये गाय आपकी है ? जमींदार ने किसान की और देखा तो किसान ने अपनी आँखे नीची कर ली ।
तभी जमींदार ने सभी से कहा , पंचों मुझसे भूल हो गयी है , ये गाय मेरी नहीं है । पंचों ने उस गरीब किसान को दोषमुक्त कर दिया और उसे अपने घर जाने दिया ।
घर पहुंचने पर जमींदार के नौकरों ने जमींदार से झूठ बोलने का कारण पूछा तो जमींदार बोला मुझे उस किसान की नजरों में उसका दर्द झलकता हुआ दिख रहा था । मैं उसकी मज़बूरी समझ गया। यदि मैं सच बोलता तो उसे सजा हो जाती । इसलिए मैंने झूठ बोलकर एक परिवार को संकट समय में से बचा लिया ।
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इतने में ही किसान जमींदार की गाय लेकर उसके घर पर पहुंचता है । किसान जमींदार के पैरों में गिरकर माफ़ी मांगने लगता है । किसान कहता है की , मुझसे बहुत बड़ी गलती हो गई , आप मुझे कृपया माफ़ कर दीजिये ।
जमींदार ने उस किसान को गले से लगाकर माफ़ कर दिया और उसकी हो सके उतनी आर्थिक सहायता भी की ।
किसी के भले के लिए बोला गया झूठ , झूठ नहीं किन्तु सत्य जैसा होता है । किसी संकटग्रस्त की सहायत के लिए यदि हम झूठ बोलते है तो हमें उसका पाप नहीं बल्कि पुण्य ही मिलता है । हम झूठ बोल सकते है किन्तु हमारा इरादा उस झूठ के पीछे नेक होना चाहिए ।
अगर किसी के भले के लिए हम झूठ बोलते है तो हमें भगवान् भी माफ़ कर देते है ।
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