स्वर्ग या नरक ? – Moral Story In Hindi
अगर हम किसी से पूछेंगे की आपको मरने के बाद कहा जाना है ? स्वर्ग या नरक में ? तो सभी ऐसा ही बोलेगे की मुझे तो स्वर्ग में ही जाना है । तो क्या स्वर्ग में सिर्फ वही लोग जाते है जिन्होंने अच्छे कर्म किये है ? क्या नरक में वही लोग जाते है जिन्होंने बुरे कर्म किये होते है ?
ज्यादातर लोगो को यही लगता है की जिसने अच्छे कर्म किये है वो स्वर्ग में जाते है और जिसने बुरे कर्म किया है वो सब नरक में जाते है । अगर आपको भी ऐसा ही लगता है तो ये कहानी (स्वर्ग या नरक ? – Moral Story In Hindi) आपको जरूर पढ़नी चाहिए ।
ये कहानी है एक साधु और नर्तकी की । किसी छोटे से गांव में साधु रहते थे और उस साधु का काम गांव के लोगो को उपदेश देना था । उसी गांव में एक नर्तकी रहती थी । उसका काम लोगो के सामनेँ नाचकर गांव के लोगो का मन बहलाना था ।
एक दिन गांव में कुछ कुदरती आपत आ गयी और ये साधु और नर्तकी दोनों उस कुदरती आपत में मर गए । मरने के बाद जब ये दोनों यमलोक पहुंचते है तब इनके कर्मोँ और उनके पीछे छिपी भावनाओँ के आधार पर इन दोनों को स्वर्ग या नरक में भेजने की बात होती है ।
साधु को खुद को स्वर्ग में ही आश्रय मिलेगा इस बात का अंदाजा था । दूसरी तरफ नर्तकी के दिमाग में ऐसा कुछ भी नहीं था , उसे तो सिर्फ फैसले का इंतजार था ।
तभी घोषणा होती है की नर्तकी को स्वर्ग दिया जाता है और साधु को नरक । इस फैसले को सुनते ही साधु यमराज पर बहुत चिल्लाते है और उनसे क्रोधित होकर पूछते है की , यह कैसा न्याय है महाराज ? मेने अपनी सारी जिंदगी लोगो को उपदेश देने में बिता दी और मेरे नसीब में नरक !
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जबकि ये नर्तकी जीवन भर लोगोँ को रिझानेँ के लिये नाचती रही और इसे स्वर्ग दिया जा रहा है। ऐसा क्योँ ? मेरे साथ ये अन्यायी क्यों ?
यमराज ने साधु को शांति से उतर देते हुए कहा की , ये नर्तकी अपना पेट भरनेँ के लिये नाचती जरूर थी किन्तु उसके मन मेँ यही भावना थी कि मैँ अपनी कला को ईश्वर के चरणोँ मेँ समर्पित कर रही हूँ । जबकि तुम लोगो को उपदेश देते हुये भी यह सोँचते थे कि काश तुम्हे भी नर्तकी का नाच देखने को मिल जाये !
यमराज ने साधु से ये भी कहा की तुम ईश्वर के इस महत्त्वपूर्ण सन्देश को भूल गए कि इंसान के कर्म से अधिक कर्म करने के पीछे की भावनाएं मायने रखती है । और तुम्हारे इस कर्म के पीछे की भावनाओ के हिसाब से ही तुम्हे नरक मिला है ।
Moral: इस कहानी से हमें यही सिख मिलती है की , हम चाहे कोई भी काम करे पर हमारी उस काम करने के पीछे की नियत साफ़ होनी चाहिए । अगर हमारी नियत साफ़ नहीं होती है तो हमें दिखने में भले लगने वाले काम भी पुण्य की जगह पर पाप का ही भागी बना देते है ।
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