तितली का संघर्ष – Short Story In Hindi With Moral
संघर्ष के बिना हम अपनी लाइफ में कुछ नहीं पा सकते है । ये कहानी ( तितली का संघर्ष – Short Story In Hindi With Moral ) उसके बारे में ही है ।
एक दिन एक लड़का अपने घर के बगीचे में टहल रहा था । टहलते टहलते उस लड़के ने किसी डाली से लटकता हुआ एक तितली का कोकून देखा । उसे ये देखने में बड़ा मजा आ रहा था ।
वो लड़का अब हररोज बाग़ में वही जगह पर जाता और उसी तितली के कोकून को देखता । एक दिन लड़के ने ये नोटिस किया की उस कोकून में एक छोटा सा छेद बन गया है । उस दिन वो लड़का वही बाग़ में बैठ जाता है और घंटो उसे देखता रहता है ।
उस लड़के ने देखा की तितली उस छेद से बाहर निकलने की बहुत कोशिश कर रही है , लेकिन बहुत देर तक कोशिश करने के बाद भी वो तितली उस छेद से बहार नहीं निकल पायी ।
अब वो तितली एकदम शांत हो जाती है जैसे की तितली ने अब हार मान ली हो । ये सब वो लड़का देख रहा था । लड़के को उस तितली पे अब तरस आने लगा । उस लड़के ने ये तय किया की अब वो इस तितली को छेद से बाहर निकलने में मदद करेगा ।
उस लड़के ने कैंची से कोकून की Opening को इतना बड़ा कर दिया की वो तितली आसानी से बाहर निकल पाए । अब तितली बिना किसी संघर्ष के आसानी से उस छेद में से बहार निकल जाती है ।
किन्तु तितली का शरीर सूजा हुआ था , और पंख सूखे हुए थे । वो लड़का तितली को बहुत ध्यान से देख रहा था और ये सोच रहा था की ये तितली किसी भी वक़्त अपने पंख फैला कर उड़ने लगेगी ।
लड़का बहुत देर तक ध्यान से तितली को देखता रहा लेकिन तितली पंख फैला कर उड़ ही नहीं पायी । इस तितली को अब अपनी बाकी की ज़िन्दगी भी इधर-उधर घिसटते हुए बीतानी पड़ी ।
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वो लड़का अपनी दया और जल्दबाजी की वजह से ये नहीं समझ पाया की कोकून से निकलने की प्रक्रिया को प्रकृति ने इतना कठिन इसलिए बनाया है ताकि ऐसा करने से तितली के शरीर में मौजूद तरल उसके पंखों में पहुच पाए और वो छेद से बाहर निकलते ही उड़ पाए ।
हमारे जीवन में संघर्ष ही ऐसी चीज है जिसकी हमें बहुत ज्यादा आवश्यकता होती है । अगर हमें बिना किसी संघर्ष के सब कुछ मिल जाए तो हम अपंग बन जाते है ।
Moral : बिना संघर्ष किये हम कुछ नहीं पा सकते है और अगर हमें मिल भी जाये तो हम कभी उतने मजबूत नहीं बन सकते है जितनी हमारी वास्तव में क्षमता होती है ।
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