Moral Short Stories

व्यक्ति की असलियत – Short Moral Story In Hindi

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Written by Abhishri vithalani

व्यक्ति की असलियत – Short Moral Story In Hindi

इंसान की असलियत की पहचान उसके व्यवहार और नीयत से होती है। इस कहानी (व्यक्ति की असलियत – Short Moral Story In Hindi) मे उसी के बारे मे बात की गयी है।

एक आदमी नौकरी मांगने के लिए आया। जब उससे उसकी काबिलियत पूछी तो बोला, मै आदमी हो चाहे जानवर, शक्ल देखकर उसके बारे मे सब कुछ बता सकता हू।

राजा ने उसे अपने खास घोड़ो के अस्तबल का प्रभारी बना दिया। कुछ ही दिन बाद राजा ने उससे अपने सबसे महंगे और मनपसंद घोड़े के बारे मे पूछा तो उसने कहा की ये घोडा नस्ली नहीं है।

राजा को हैरानी हुई, उसने जंगल से घोड़े वाले को बुलाकर पूछा तो उसने बताया – ये घोडा नस्ली तो है पर उसके पैदा होते ही इसकी माँ मर गयी थी इसलिए ये एक गाय का दूध पीकर पला – बढ़ा है।

राजा ने प्रभारी को बुलाया और पूछा तुम्हे कैसे पता चला की घोडा नस्ली नहीं है? उसने कहा – जब ये घास खाता है तो गायो की तरह सिर नीचे करके खता है जबकि नस्ली घोडा घास मुँह मे लेकर सिर उठा लेता है।

राजा उसकी काबिलियत से बहुत खुश हुआ। उसने उसके घर अनाज, घी, मुर्गे, और ढेर सारी बकरिया इनाम के तौर पर भिजवा दिए और अब उसे रानी के महल मे तैनात कर दिया।

कुछ दिन बाद राजा ने उससे रानी के बारे मे राय मांगी। उसने कहा तौर – तरीके तो रानी जैसे है लेकिन पैदाइशी नहीं है। राजा के पैरो तले जमीन खिसक गई। उसने अपनी सास को बुलाया।

सास ने कहा – हकीकत ये है की आपके पिताजी ने मेरे पति से हमारी बेटी की पैदाइश पर ही रिश्ता मांग लिए था। आगे सास ने कहा लेकिन हमारी बेटी 5 महीने मे ही मर गई थी, लिहाजा हमने आपके रजवाड़े से करीबी रखने के लिए किसी और की बच्ची को अपनी बेटी बना लिया।

राजा ने फिर अपने नौकर से पूछा की तुम्हे ये सब कैसे पता चला ? उसने कहा, रानी साहिबा का नौकरों के साथ सुलूक गवारो से भी ज्यादा बुरा है। एक खानदानी इंसान का दूसरे से व्यवहार करने का एक तरीका होता है, जो रानी साहिबा मे नहीं है।

राजा फिर उसकी पारखी नजरो से खुश हुआ और फिर से बहुत सारा इनाम देने के साथ उसे अपने दरबार मे तैनात कर लिया।

कुछ समय बाद राजा ने उससे अपने बारे मे पूछा। नौकर ने कहा – अगर आप मुझे मेरी जान की सलामती देंगे तो ही मे कहूंगा। राजा ने उसे कहा की मे तुमसे वादा करता हू की मे तुम्हे कुछ भी नही करुगा, अब तुम मुझे मेरे बारे मे बताओ।

नौकर ने कहा न तो आप राजा के बेटे हो और न ही आपका चलन राजाओ वाला है। राजा को बहुत गुस्सा आया, पर वो कुछ भी नहीं कर सका क्योकि उसने पहले से ही नौकर को जान की सलामती का वचन दे दिया था।

राजा सीधा अपनी माँ के महल मे पंहुचा। राजा ने अपनी माँ को ये सारी बात बताई जो उसको नौकर ने बताई थी। माँ ने कहा ये सब सच है, तुम एक चरवाहे के बेटे हो। हमारी औलाद नहीं थी तो तुम्हे गोद लेकर पाला।

राजा ने नौकर से पूछा की बताओ तुम्हे कैसे पता चला? नौकर ने कहा – जब राजा किसी को इनमे देते है तो हीरे – मोती और जवाहरात मे देते है, लेकिन आप भेड़, बकरिया, खाने – पीने की चीज़े देते है। ये रवैया किसी राजा का नहीं है, किसी चरवाहे के बेटे का ही हो सकता है।

Moral : इंसान की असलियत की पहचान उसके व्यवहार और नीयत से होती है।

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Abhishri vithalani

I am a Hindi Blogger. I like to write stories in Hindi. I hope you will learn something by reading my blog, and your attitude toward living will also change.

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