चार बातें – Short Moral Story In Hindi
ज्ञान की बात सुनने और पढ़ने से कुछ लाभ नहीं होता है। अगर हमें वास्तव में लाभ चाहिए तो हमें उस ज्ञान की बातो को सुनने और पढने के बाद उस पर अमल भी करना चाहिए तभी हमें उसका लाभ मिलेगा। उपदेशो को जीवन में उतारे बगैर उनका कोई मोल नहीं है। इस कहानी (चार बातें – Short Moral Story In Hindi) में भी उसी के बारे में बताया गया है।
एक राजा के विशाल महल में एक सुंदर वाटिका थी, जिसमे अंगूरों की एक बेल लगी थी। वहा रोज एक चिड़िया आती थी और मीठे अंगूर चुन – चुनकर खा जाती थी और अधपके तथा खट्टे अंगूरों को नीचे गिरा देती।
माली ने उस चिड़िया को पकड़ने की बहुत ज्यादा कोशिश की पर वह चिड़िया किसी भी हाल में उस माली के हाथ में नहीं आई। माली ने अब हताश होकर ये बात एक दिन राजा को बता दी।
यह सुनकर राजा को आश्चर्य हुआ। उसने चिड़िया को सबक सिखाने की ठान ली और वाटिका में छिपकर बैठ गया। जब चिड़िया अंगूर खाने आई तो राजा ने तेजी से उसे पकड़ लिया। जब राजा चिड़िया को मरने लगा तो चिड़िया ने कहा, है राजन! मुझे मत मारो। मै आपको ज्ञान की चार महत्वपूर्ण बातें बताउंगी।
राजा ने कहा जल्दी बता। चिड़िया बोली, है राजन, सबसे पहले तो हाथ मै आये शत्रु को कभी भी मत छोड़ो। राजा ने ये पहली बात सुनकर कहा, अब दूसरी बात बताओ।
चिड़िया ने कहा, असंभव बात पर भूलकर भी विश्वास मत करो और तीसरी बात यह है की बीती बातो पर कभी भी पश्चाताप मत करो। राजा ने कहा अब चौथी बात भी जल्दी से बता दो।
इस पर चिड़िया बोली, चौथी बात रहस्यमयी है। मुझे ज़रा ढीला छोड़ दे क्योकि मेरा दम घुट रहा है। कुछ साँस लेकर ही बता पाऊँगी।
राजा ने चिड़िया की बात सुनकर अपना हाथ थोड़ा ढीला किया और चिड़िया उड़कर एक डाल पर बैठ गयी और बोली मेरे पेट मे दो हीरे है।
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यह सुनकर राजा पश्चाताप मे दुब गया। राजा की हालत देख कर चिड़िया बोली, है राजन ज्ञान की बात सुनने और पढ़ने से कुछ लाभ नहीं होता है, वास्तव मे लाभ तो उस पर अमल करने से होता है।
फिर चिड़िया ने आगे कहा की आपने मेरी बात नहीं मानी। मै आपकी शत्रु थी फिर भी आपने पकड़कर मुझे छोड़ दिया। मैंने यह असंभव बात कही की मेरे पेट में दो हीरे है फिर भी आपने उस पर भरोसा कर लिया। आपके हाथ में वे काल्पनिक हीरे नहीं आये, तो आप पछताने लगे। उपदेशो को जीवन में उतारे बगैर उनका कोई मोल नहीं है।
Moral : ज्ञान की बात सुनने और पढ़ने से कुछ लाभ नहीं होता है, वास्तव मे लाभ तो उस पर अमल करने से होता है। उपदेशो को जीवन में उतारे बगैर उनका कोई मोल नहीं है।
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