संत और जिज्ञासु व्यक्ति – Very Short Moral Story In Hindi
हमारे चरित्र का विशेष महत्व है। इसलिए हमें चरित्रवान बने रहना चाहिए। इस कहानी (संत और जिज्ञासु व्यक्ति – Very Short Moral Story In Hindi) में उसी के बारे में बताया गया है।
एक जिज्ञासु व्यक्ति ने एक संत से प्रश्न किया, महाराज, रंग – रूप, बनावट प्रकृति में एक जैसे होते हुए भी कुछ लोग अत्यधिक उन्नति करते है। जबकि कुछ लोग पतन के गर्त में डूब जाते है? संत ने उतर दिया, तुम कल सुबह मुझे तालाब के किनारे मिलना। तब मै तुम्हे इस प्रश्न का उत्तर दूंगा।
अगले दिन वह व्यक्ति सुबह तालाब के किनारे पंहुचा। उसने देखा की संत दोनों हाथो में एक – एक कमंडल लिए खड़े है। जब उसने ध्यान से देखा तो पाया की एक कमंडल तो सही है, लेकिन दूसरे के पेंदे में एक छेद है।
उसके सामने ही संत ने दोनों कमंडल तालाब के जल में फेक दिए। सही वाला कमंडल तो तालाब में तैरता रहा, लेकिन छेद वाला कमंडल थोड़ी देर तैरता रहा, लेकिन जैसे – जैसे उसके छेद से पानी अंदर आता गया, वह डूबने लगा और अंत में पूरी तरह डूब गया।
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संत ने जिज्ञासु व्यक्ति से कहा जिस प्रकार दोनों कमंडल रंग – रूप और प्रकृति में एक समान थे, किन्तु दूसरे कमंडल में एक छेद था, जिसके कारण वह डूब गया।
उसी प्रकार मनुष्य का चरित्र ही इस संसार रूपी सागर में उसे तैराता है। जिसके चरित्र में दोष रूपी छेद होता है, वह पतन के गर्त में चला जाता है लेकिन एक सच्चरित्र व्यक्ति इस संसार में उन्नति करता है। जिज्ञासु को अपने प्रश्न का उत्तर मिल गया।
Moral : चरित्र का विशेष महत्व है। जीवन में चरित्रवान बने रहे।
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