Moral Short Stories

श्वेत नीलकंठ का रहस्य – Short Moral Story In Hindi

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Written by Abhishri vithalani

श्वेत नीलकंठ का रहस्य – Short Moral Story In Hindi

हमें अपने कर्तव्य का पालन जरूर करना चाहिए। इसी से उन्नति होती है। अगर हम अपने कर्तव्य का पालन नहीं करते है तो इससे हमारा ही नुकसान होता है। इस कहानी (श्वेत नीलकंठ का रहस्य – Short Moral Story In Hindi) में उसी के बारे में बात कि गयी है।

एक किसान था। उसे खूब धन- संपत्ति अपने पूर्वजो से विरासत में मिली थी। इसलिए उसे किसी भी चीज़ की कमी नहीं थी। वह दिन भर बैठकर हुक्का पीकर अपने मित्रो के साथ गप्पे लड़ाता रहता था।

सारा काम उसने अपने नौकरो के भरोसे छोड़ रखा था। जिसका फायदा उसके नौकर उठाते थे। इसी वजह से दिन व् दिन उसकी संपत्ति कम होती जा रही थी। लेकिन किसान को अपनी मौज – मस्ती से फुरसत ही नहीं थी। वह इस ओर कोई ध्यान नहीं देता था।

एक दिन उसका एक पुराना मित्र उससे मिलने आया। उसने सब कुछ देखा तो उसे बड़ा दुःख हुआ। उसने किसान को समझाने की बहुत कोशिश की लेकिन उस पर कोई असर नहीं पड़ा।

तब उसके मित्र को एक उपाय सुझा। उसने किसान से कहा की यहाँ से थोड़ी दूर एक बाबाजी रहते है। वो बाबाजी सभी को धनप्राप्ति के नुस्खे बताते है। मुझे ऐसा लगता है की एक बार तुम्हे भी वहा जाना चाहिए।

किसान तुरंत तैयार हो गया। दोनों बाबाजी के पास पहुंचे। बाबाजी ने किसान को बताया की तुम्हारे गोदाम, गोशाला ओर घर में सूर्योदय के समय एक श्वेत नीलकंठ आता है। अगर तुम उसके दर्शन कर लो तो तुम्हारी संपत्ति बढ़ने लगेगी।

किसान अगले दिन सूर्योदय से पहले ही उठकर गोदाम की ओर चल पड़ा। वहा पहुंचकर उसने देखा की एक नौकर गेहू की बोरी बेचने ले जा रहा है। मालिक को देखकर वह डर गया। किसान के डांटने पर उसने कुबूल किया कि वह अक्सर चोरी से अनाज बेचता है।

किसान ने उसको काम से हटा दिया। फिर वह गोशाला में पंहुचा। वहा उसने देखा कि गोशाला का कर्मचारी दूध बेच रहा है और पैसे खुद रख रहा है। किसान ने उसको डाटा और सही से काम करने कि नसीहत दी।

दोनों जगह श्वेत नीलकंठ को न पाकर वह घर पंहुचा। वहा उसने देखा कि घर के सब लोग सो रहे है। एक नौकरानी घर के कीमती बर्तन चुराकर ले जा रही है। किसान ने उसको भी काम के हटा दिया।

अब किसान श्वेत नीलकंठ के चक्कर में रोज गोदाम, गोशाला और घर के चक्कर लगाने लगा। उसके डर से कर्मचारी अब सही से काम करने लगे जिससे उसकी संपत्ति बढ़ने लगी।

लेकिन श्वेत नीलकंठ के दर्शन नहीं हुए। निराश होकर वह एक दिन फिर उस बाबा के पास पंहुचा। उसने बाबा से कहा कि बहुत प्रयास के बाद भी मुझे श्वेत नीलकंठ के दर्शन नहीं हुए।

बाबा ने हंसकर कहा, तुम्हे श्वेत नीलकंठ के दर्शन हो चुके है। वह श्वेत नीलकंठ है तुम्हारा कर्तव्य। कर्तव्य का पालन करने से ही लक्ष्मी कि वृद्धि होती है।

Moral : हमें अपने कर्तव्य का पालन जरूर करना चाहिए। इसी से उन्नति होती है।

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About the author

Abhishri vithalani

I am a Hindi Blogger. I like to write stories in Hindi. I hope you will learn something by reading my blog, and your attitude toward living will also change.

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