एक पंथ दो काज – Short Kids Story In Hindi
“एक पंथ दो काज” ये मुहावरा आपने भी सुना ही होंगा। इस कहानी में उसी के बारे में बात की गई है।
एक कुम्हार था जो की मिट्टी के बर्तन बनाने का काम करता था। उसका नाम रविंद्र था। रविंद्र ने मिट्टी ढोने के लिए पांच – सात गधे पाल रखे थे। उसका एक लड़का था जिसका नाम था परेश।
परेश आठवीं कक्षा में पढता था। कोरोना महामारी के कारण परेश का स्कूल बंद था और वह घर पर रहकर ही पढाई करता था।
एक दिन परेश हिंदी का पाठ पढ़ रहा था। उसमे उसने एक मुहावरा पढ़ा, “एक पंथ दो काज”। उसने चाक पर बर्तन बनाते अपने पिताजी से पूछा, पिताजी एक पंथ दो काज का क्या मतलब होता है?
उसके पिता रविंद्र ने कहा – अरे ये तो बहुत आसान है। इसका मतलब होता है की एक साथ दो काम करना। परेश ने पूछा, कोई उदाहरण बताओ पिताजी। रविंद्र ने कहा – बेटा जैसे मै चाक पर काम करते करते मिट्टी के बर्तन खरीदने आने वाले ग्राहकों को बर्तन दिखाकर बेच देता हू। काम का काम और दाम का दाम।
क्या बात है पिताजी आपने तो मुहावरा समझाते हुए भी दूसरा मुहावरा बता दिया। परेश ने मुस्कुराते हुए कहा।
उसी समय परेश की माँ बोली, परेश बेटा पढाई करने के बाद इन गधो को जंगल की ओर ले जाना। कुछ देरी हरी घास चर आएंगे। बरसाती मौसम के कारण मिट्टी ढोना बंद है, इसलिए खूंटे से बंधे – बंधे ये भी परेशान हो गए है। माँ मुझे पढ़ना है। परेश ने कहा।
अरे पढ़ने से कौन रोक रहा है तुझे। किताब ले जाना और वहा खुले वातावरण मै पढ़ लेना। वहा गधे भी चरते रहेंगे। माँ ने उसे समझाते हुए कहा। इस बीच रविंद्र ने कहा – परेश अभी मैंने तुझे कौन सा मुहावरा समझाया था?
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पिताजी.. एक पंथ दो काज। इस पर रविंद्र ने कहा – तुम्हारी माँ भी तो यही कह रही है कि गधो को चराते – चराते अपनी पढाई भी करते रहना। वहा तुझे कोई रोक – टोक भी नहीं करेगा।
परेश ने अपने माँ और पिताजी की बात मान ली और वो गधो को लेकर जंगल की तरफ निकल गया। उनमे एक गधा थोड़ा शरारती था। वह चरते-चरते इधर-उधर खेतो की तरफ चला जाता। फसल खराब न कर दे, इसलिए उस पर नजर रखना भी जरुरी था।
परेश ने एक तरकीब निकाली, ताकि उसे पढाई में रुकावट भी न आए और उस गधे पर भी निगरानी रहे। वह अपनी किताब लेकर गधे की पीठ पर बैठ गया। गधा चरता रहा और परेश किताब पढ़ने लगा। गधे की पीठ पर बैठकर परेश को तो मजा आने लगा।
आते-जाते जो भी लोग उसे देखते तो यही कहते, बच्चा हो तो इसके जैसा मेहनती। एक पंथ दो काज कर रहा है। अपनी पढाई भी और साथ ही साथ गधो की रखवाली भी।
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