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वहम की बीमारी – Short Moral Story In Hindi

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Written by Abhishri vithalani

वहम की बीमारी – Short Moral Story In Hindi

वहम का कोई इलाज नहीं होता है। ये कहानी (वहम की बीमारी – Short Moral Story In Hindi) में उसी के बारे में एक उदाहरण के माध्यम से समझाया गया है।

एक व्यक्ति को भ्रम हो गया कि वह मनुष्य नहीं है बल्कि अनाज का दाना है। वह बाहर निकलता है तो पक्षियों को देखकर छिप जाता है कि कही वे उसे चुग न ले। चक्की के पास से गुजरता है तो उसका दिल धड़कने लगता है कि कही वह पिस न जाए।

बारिश होती है तो उसे डर लगता है कि कही उसमे से अंकुर न फूट जाए। आखिर उसे एक मनोरोग विशेषज्ञ के पास ले जाया गया। काफी देर तक संवाद करने के बाद विशेषज्ञ उसे यह यकीन दिलाने में सफल हो गया कि वह अनाज नहीं मनुष्य है।

विशेषज्ञ ने उसे इस तरह समझाया कि तुम बोलना, चलना, सोचना ऐसे तमाम काम कर सकते हो लेकिन ये सब एक अनाज नहीं कर सकता। वह विशेषज्ञ कि बात अच्छे से समझ गया और उसने विशेषज्ञ का आभार भी प्रकट किया और वो चला गया।

पांच ही मिनट बीते थे कि वह भागता हुआ आया और विशेषज्ञ की मेज के नीचे छिप गया। उसने पूछा कि क्या हुआ तो मरीज ने बताया कि बाहर एक मुर्गा है, जो उसकी ओर बढ़ रहा था।

विशेषज्ञ ने उसे डांटा और बोला कि तुम्हे पता है कि तुम अनाज नहीं बल्कि एक इंसान हो। उसने कहा आपकी बात सही है साहब, वह हाँफते हुए बोला मुझे तो आपने समझा दिया लेकिन मुर्गे को तो यह बात नहीं पता होगी न।

Moral : वहम का कोई इलाज नहीं होता है।

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Abhishri vithalani

I am a Hindi Blogger. I like to write stories in Hindi. I hope you will learn something by reading my blog, and your attitude toward living will also change.

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