मैले कपड़े – Short Inspirational Story In Hindi
अगर कोई हमें बिना किसी मतलब भला-बुरा कहे तो हमें क्रोधित नहीं होना चाहिए। ये कहानी (मैले कपड़े – Short Inspirational Story In Hindi) उसी के बारे में है।
जापान के ओसाका शहर के निकट किसी गाँव में एक बड़े जेन मास्टर रहते थे। उनका नाम जोको सुजुकी था, और वे अपने ज्ञान और आध्यात्मिक उपदेश के लिए पूरे देश में प्रसिद्ध थे। लोग उनके पास अपनी दुखों और समस्याओं का समाधान ढूंढ़ने उनके दरबार में आते थे।
जोको सुजुकी को जेन मास्टर के रूप में जाना जाता था। वे न केवल एक दिग्गज ज्ञानी थे, बल्कि एक महान संवादक भी थे। उनका शैली सदैव प्रसन्न और सहयोगी था।
एक दिन, जोको सुजुकी मौन जपने का सिलसिला छोड़कर, अपने एक अनुयायी के साथ एक प्राकृतिक सैर पर निकले। जब वे एक गाँव के पास पहुँचे, तो वहां एक आदमी खड़ा था, जो तीव्र रूप से उनका आलोचक कर रहा था।
इस आदमी ने जोको सुजुकी के लिए बहुत से अपशब्द कहे और उनकी आलोचना की, लेकिन जोको सुजुकी ने उसके खिलाफ जाने की बजाय मुस्कराया और शांत रूप से आगे बढ़े।
आदमी ने जोको सुजुकी के पूर्वजों की नींद उड़ाई, उनके संतानों को कलंकित किया, और उनके जीवन की हर बुराई को उजागर किया। पर जोको सुजुकी अब भी मुस्करा रहे थे।
आदमी और भी क्रोधित हो गया और उनके आलोचनाओं को और भी तेजी से बढ़ा दिया। पर जोको सुजुकी ने इस पर भी ध्यान नहीं दिया और मुस्कराते हुए चले गए।
अनुयायी बहुत ही हैरान थे। वे जेन मास्टर से पूछते हैं, “मास्टर, आपने उस व्यक्ति के साथ क्यों नहीं वाद-विवाद किया? आपको उसकी बातों से कोई कष्ट नहीं हुआ?”
जोको सुजुकी कुछ नहीं बोले और उन्होंने अपने हाथ में एक मैले कपड़े को लिया और उसे अपने अनुयायी के सामने दिखाया ओर बोले लो अपने कपड़े उतारकर इन्हे धारण कर लो ?
कपड़े में अजीब और असहम दुर्गंध आ रही थी। अनुयायी ने उनके हाथ में लेते ही उन्हें दूर फेंक दिया।
जोको सुजुकी ने कहा, क्या हुआ? क्या तुम इन कपड़ों को नहीं ग्रहण कर सकते? ठीक वैसे ही, मैं भी उस व्यक्ति द्वारा फेंके गए अपशब्दों को नहीं ग्रहण करता।
याद रखो, अगर तुम किसी के बिना मतलब के भला-बुरा कहने पर खुद क्रोधित हो जाते हो, तो इसका मतलब है कि तुम अपने शुद्ध और साफ कपड़ों की बजाय उसके फेंके हुए, फटे और पुराने कपड़ों को धारण कर रहे हो।
यह घटना जोको सुजुकी की सीख और संवाद कला को दर्शाती है। उन्होंने दिखाया कि हमें अन्यों के अपमान पर राग नहीं करना चाहिए और हमें अपने शांति और साकारात्मकता को बरकरार रखना चाहिए। वे नकारात्मकता को पाने के बजाय सीखने का एक मौका मानते थे।
इससे हमें यह सिखने को मिलता है कि अगर हम किसी के बिना मतलब के भला-बुरा कहने पर स्वयं भी क्रोधित हो जाते हैं, तो इसका मतलब है कि हम अपने शुद्ध और साफ वस्त्रों की बजाय उसके फेंके हुए, फटे और पुराने कपड़ों को धारण कर रहे हैं।
Moral : यह कहानी हमें यह शिक्षा देती है कि हमें अन्यों के अपमान पर उत्तरदायिता नहीं लेनी चाहिए और हमें अपने आत्मविश्वास और शांति को सुरक्षित रखना चाहिए, चाहे हमारे सामने कितनी भी चुनौतियाँ क्यों ना आएं।
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