Sad Short Story In Hindi
अन्न की असली कीमत तो सिर्फ उसी को पता होती है जिसे 2 Time का खाना भी ना मिलता हो। हमारे में से कई सारे लोग खाने को थाली में ऐसे ही छोड़ देते होंगे। लेकिन उसकी असली कीमत वही करता है जिसे वह बड़ी मुश्किल से मिलता हो। इस कहानी (Sad Short Story In Hindi) में उसी के बारे में बात की गई है।
संभु एक ठेला लगा कर काम करता था। उसके परिवार में उसकी पत्नी और दो छोटे छोटे बच्चे थे। उनके बच्चो में एक लड़का था और एक लड़की थी। उसकी पत्नी का नाम सिमा था। उसके लड़के का नाम छोटू था और लड़की का नाम मुन्नी था।
एक दिन ठेले पर भार ज्यादा होने की वजह से संभु उसे ठीक से सम्भाल नहीं पाया और तेज गति से आती ट्रक से टकरा गया। अगले ही पल उसकी मौत हो गयी और उसके पीछे रह गयी उसकी पत्नी सिमा और दो छोटे-छोटे बच्चे छोटू और मुन्नी।
एक तरफ संभु का अंतिम संस्कार किया जा रहा था और दूसरी तरफ उसके बच्चे भूख की वजह से तड़प – तड़पकर रो रहे थे। बच्चो ने कई दिनों से पेट भर खाना नहीं खाया था।
उनके छोटे से बच्चो को रोते हुए देखकर पड़ोसियों को उसपे दया आ गई। पड़ोसियों ने दोनों बच्चो को खाना दिया। बहुत दिनों बाद छोटू और मुन्नी पेट भर कर खाना खा रहे थे। वो दोनों आज बहुत खुश थे।
एक तरफ लोग संभु की मौत पर दुःख व्यक्त कर रहे थे वहीँ दूसरी तरफ उसके अपने बच्चे बड़े चाव से भोजन कर रहे थे! सिमा ने अगले कुछ दिनों तक इसी तरह उधार लेकर और इधर-उधर से मांग कर अपना और बच्चों का पेट पाला।
लेकिन ये सब कितने दिनों तक चलता? कुछ समय के बाद तो लोगो ने मदद करना भी बंद कर दिया। सिमा पागलो की तरह इधर – उधर काम ढूंढती रही। बहुत प्रयास करने के बाद भी उसे काम नहीं मिला।
थक हार कर जब सिमा घर पर लौटी तो बच्चे उम्मीद से उसकी तरफ देखने लगे। छोटू अपनी तुतलाती आवाज़ में बोला – “त्या लायी हो माँ…जल्दी से मुझे खिला दो, मुझे बलि भूख लगी है…”
छोटू की बात सुनकर सिमा रो पड़ी और उसी के साथ दोनों बच्चे समझ गए की माँ के पास कुछ भी नहीं है…एक पल के लिए अजीब सा सन्नाटा छा गया।
फिर मुन्नी बोली – ” माँ, ये छोटू कब मरेगा! ”
माँ ने कहा तू पागल हो गई हो? ऐसा क्यों बोल रही है? माँ ने उसे डांटते हुए कहा।
तभी मुन्नी ने कहा माँ जब पापा मरे थे तो उस दिन हम लोगों को पेट भर खाना मिला था….छोटू मरेगा तो फिर खाना आएगा ना!
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मुन्नी की बाते सुनकर माँ कि आँखें फटी की फटी रही गयीं। उसके पास मुन्नी की बात को कोई जवाब नहीं था!
ये सिर्फ कहानी ही नहीं है, लेकिन ये दुनिया के करोड़ों लोगों की हक़ीकत है! थोड़ा इस बात पर गौर कीजिये, जिस खाने को हम थाली में ऐसे ही छोड़ देते हैं उसकी कीमत को समझिये। बचपन से ही हमें अन्न का आदर करना और उसका महत्व सिखाया जाता है लेकिन हमने कभी असल भूख नहीं देखी होती इसलिए हम उसका आदर करना नहीं सीखते है।
एक दिन, बस सिर्फ एक दिन भूखा रह कर देखिये और आप करोड़ों लोगों का दर्द समझ जायेंगे!
इसी के साथ चलिए आज से ही हम सब प्रण करते है की हम कभी भी अन्न का अपमान नहीं करेंगे। हम कभी भी खाना बर्बाद नहीं करेंगे। चलिए अन्न को बचाएं और उसे ऐसे लोगों तक पहुंचाने का प्रयास करें जिन्हें इनकी सचमुच ज़रुरत है!
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