गड़रिये की अजीब शर्त – Short Moral Story In Hindi
लालच बुरी बला है। कई बार इंसान लालच में इतना अंधा हो जाता है कि वो अच्छे और बुरे का फर्क भूल जाता है। इस कहानी (गड़रिये की अजीब शर्त – Short Moral Story In Hindi) में उसी के बारे में बात की गई है।
एक राजा था। उसने अपने मंत्रियो से सवाल पूछा कि ऐसा कौन सा कुआ है, जिसमे गिरने के बाद आदमी बाहर नहीं निकल पाता? इस प्रश्न का उतर कोई नहीं दे पाया। आखिर मे राजा ने अपने राज पंडित से कहा कि – इस प्रश्न का उत्तर 7 दिनों मे बताओ, नहीं तो तुम्हे नगर से बाहर निकाल दिया जाएगा।
राज पंडित उस सवाल का जवाब ढूढ़ने निकला। 6 दिन बीतने के बाद भी राज पंडित को जवाब नहीं मिला। निराश होकर जब वो जंगल से गुजर रहा था, तभी उसकी मुलाक़ात एक गड़रिये से हुई।
गड़ेरिये ने राज पंडित कि उदासी का कारण पूछा। राज पंडित ने उसे सारी बात बता दी। गड़ेरिये ने कहा – मेरे पास पारस पत्थर है, उससे आप कितना भी सोना बना सकते है। फिर आपको राजा के पास जाने कि जरुरत भी नहीं पड़ेगी। फिर उन्होंने कहा लेकिन इसके पहले आपको मेरा चेला बनना पड़ेगा।
पहले तो राज पंडित ने सोचा कि मै इस मामूली गड़ेरिए का चेला क्यों बनू। लेकिन बाद में पारस पत्थर के लालच में राज पंडित ने गड़ेरिए का चेला बनना स्वीकार कर लिया।
इसके बाद गड़ेरिया बोला – पहले भेड़ का दूध पीओ फिर मेरे चेले बनो। राजपंडित ने कहा कि – यदि ब्राह्मण भेड़ का दूध पियेगा तो उसकी बुद्धि मरी जाएगी। मै दूध नहीं पीऊंगा।
गड़ेरिया बोला – तो जाओ मै पारस पत्थर नहीं दूंगा। राज पंडित बोला – ठीक है, मै दूध पीने के लिए तैयार हु। गड़ेरिया बोला – अब तो पहले मै दूध को जूठा करुगा फिर तुम्हे मेरा जूठा किया हुआ दूध पीना पड़ेगा।
राज पंडित ने कहा – तू तो हद करता है! ब्राह्मण को जूठा पिलायेगा? गड़ेरिए ने कहा – तो मै तुजे पारस का पत्थर नहीं दूंगा। राज पंडित बोला तो फिर मै तैयार हु जूठा दूध पीने के लिए।
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गड़ेरिया बोला – अब तो सामने जो मरे हुए इंसान की खोपड़ी है, उसमे दूध दुहूँगा, जूठा करुगा, कुत्ते से चटवाऊंगा फिर तुम्हे पिलाऊंगा। तब मिलेगा पारस पत्थर नहीं तो अपना रास्ता नाप लो।
राज पंडित ने खूब विचार कर कहा – ये है तो बड़ा कठिन किन्तु ये सब करने के लिए मै तैयार हु। गड़ेरिया बोला – मिल गया जवाब। यही तो कुआ है, लोभ का कुआ, जिसमे आदमी गिरता जाता है और फिर कभी नहीं निकलता है।
जैसे कि तुम पारस पत्थर को पाने के लिए इस लोभ रूपी कुए में गिरते चले गए। राज पंडित को राजा के सवाल का जवाब मिल चूका था।
Moral : लालच बुरी बला है। ये बात हम बचपन से सुनते आ रहे है। कई बार हम लालच में इतने अंधे हो जाते है कि अच्छे या बुरे का फर्क ही भूल जाते है। यहाँ तक कि अपना स्वाभिमान भी भूल जाते है। ऐसे लोग पैसा तो कमा लेते है, लेकिन लालच कि वजह से कभी संतुष्ट नहीं हो पाते है। इसलिए लालच से बचकर रहे।
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