एक गधे का भार – Akbar Birbal Short Story In Hindi
अकबर और बीरबल की इस कहानी (एक गधे का भार – Akbar Birbal Short Story In Hindi) में बीरबल बादशाह अकबर को अपनी चतुराई फिर से एक बार दिखाता है।
एक बार की बात है, बादशाह अकबर अपने मंत्रियों के साथ और बीरबल के साथ नदी पर एक स्नान के लिए गए। अकबर बीरबल पर विशेष रूप से विश्वास करते थे, इसलिए उन्होंने अपना सामान और कपड़े बीरबल को सौंप दिए और खुद नदी में डुबकी लगाने चले गए।
यह दृश्य देखकर अकबर के अन्य मंत्रियों ने भी बीरबल को अपने कपड़े पकड़ने के लिए दे दिए और वे भी नदी में स्नान करने लगे। बीरबल बादशाह और उनके मंत्रियों के कपड़े पकड़कर खड़े हो गए।
अकबर ने स्नान पूरा किया और नदी के किनारे वापस आये साथ ही उनके उनके मंत्रियों ने भी नदी से उठने का काम किया। जब अकबर ने देखा कि उनके मंत्रियों के साथ उनके कपड़े बीरबल के पास हैं, तो उन्हें यह दृश्य काफी आदर्शवादी लगा। वह खुद को रोक नहीं सके और एक चुटकुले पर हंसने लगे।
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अकबर ने मुस्कराते हुए कहा, “बीरबल को देखो – गधे की तरह सारा भार उठा रहा है!” उनके मंत्री भी हँसते हुए शामिल हो गए। बीरबल पर हंसने का मौका इतना कम होता है!
इस पर बीरबल ने उत्तर दिया, “हां, हुजूर! मेरी तो गदहे से भी बुरी दशा है। एक गधा केवल एक गधे का बोझ उठाता है। मैं बहुत से गधों का बोझ ढो रहा हूँ।”
बीरबल के यह विनोदी शब्द से सभी को हँसी आ गई। अकबर समझ गया कि वो एक बार फिर बीरबल की चतुराई से हार गए हैं। उनके बुद्धिमता और ताजगी ने एक बार फिर सबको मुस्कराहट दिलाई।
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