Short Kahani In Hindi – अंतिम दाता
क्या आप किसी को दान देते समय दातापन के भाव रखते हो? भगवान ने हमें देते समय कोई दातापन का भाव नहीं जताया तो फिर हमें भी किसी जरूरतमंद को देते समय दातापन का भाव नहीं रखना चाहिए। हम देने वाले कौन? हम तो सिर्फ एक माध्यम है। इस कहानी (Short Kahani In Hindi – अंतिम दाता ) में उसी के बारे में बात की गई है।
सड़क किनारे बने हुए एक अपार्टमेंट की ऊपर की मंजिल में रहने वाले आदमी ने सड़क पर जाते हुए एक अंधे भिखारी को देखा। वह उसे कुछ सिक्के देना चाहता था और नीचे भी नहीं आना चाहता था।
उसने नीचे के तल पर रहने वाले व्यक्ति को ऊपर से ही कुछ सिक्के पास कर दिए ताकि नीचे वाला व्यक्ति भिखारी को वो सिक्के दे सके। नीचे रहने वाले आदमी ने वो सिक्के अंधे भिखारी को दे दिए। अंधे भिखारी को पता नहीं था की सिक्के देने वाला असली दाता कौन है।
उसने ढेर सारे आशीर्वाद और शुभकामनाए उस व्यक्ति को दिए जिसने सिक्के दिए थे। जबकि नीचे वाले व्यक्ति को पता था की उसने ये सिक्के दान नहीं किये है।
वो तो इस सारी प्रक्रिया में केवल एक माध्यम बना था। ऊपर रहने वाले व्यक्ति ने बगैर किसी अभिमान के बिना किसी दातापन के भाव के, नीचे रहने वाले आदमी को सिक्के दिए थे, भिखारी को देने के लिए।
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उसे इस बात की परवाह नहीं थी की बदले में उसे आशीर्वाद या प्रशंसा मिले। उसका एकमात्र भाव एक गरीब आदमी की मदद करना था। इसे एक मानवतावादी कार्य कहा जा सकता है।
ऐसे ही हम लोगो को ये सोच रखनी चाहिए की हमें भी ऊपर वाले ने दिया है। उसी के दिए हुए को हम आगे दे रहे है। हमें जो कुछ भी प्राप्त है हमें उस मालिक का धन्यवाद करना चाहिए। हम देने वाले कौन? हम तो केवल एक माध्यम है। देते वक्त दातापन का अभिमान भी नहीं आना चाहिए।
किसी भी जरूरतमंद को दान देते समय हमें दातापन का अभिमान नहीं आना चाहिए, क्योकि भगवान् ने हमें दिया है और हम किसी दुसरो को दे रहे है इसका मतलब हम सिर्फ एक माध्यम है।
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