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Good Story In Hindi – रूप और गुण 

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Written by Abhishri vithalani

Good Story In Hindi – रूप और गुण

रूप और गुण में से किसी एक को चुनना हो तो आप किसे चुनेगे? जीवन में रूप के महत्व को कम नहीं आँका जा सकता, पर वही सब कुछ नहीं होता। जब बात गुणों से तुलना की हो तो रूप का पलड़ा सदा ही हल्का रहता है। इस कहानी (Good Story In Hindi – रूप और गुण ) में एक उदाहरण के माध्यम से यही समझाया गया है।

एक व्यापारी अपार धन के स्वामी थे। अपनी एकलौती पुत्री के विवाह हेतु योग्य वर की खोज कर रहे थे। काफी खोजने के बाद 2 युवको पर बात अटक गई। एक युवक अत्यंत रूपवान था, जिससे हर लड़की विवाह करना चाहती थी। व्यापारी की बेटी को भी वही सही लग रहा था।

दूसरा युवक देखने में साधारण था पर अत्यंत योग्य था। यह युवक व्यापारी को बहुत पसंद आ गया। इसी मुद्दे पर पिता और बेटी में असहमति हो गई थी। व्यापारी परेशान थे की बेटी को किस तरह बात समझाई जाए।

व्यापारी एक संत महाराज को मानते थे। संयोग से वे पधारे हुए थे और शहर के बाहर आश्रम में ठहरे हुए थे। व्यापारी बेटी समेत उनके पास गए और सारी बात बताई।

संत ने कहा की तुम्हारी समस्या का समाधान मै कल करुगा। कल तुम दोपहर में कन्या समेत मेरे पास आना। कल तुम्हे दो काम करने होंगे। शहर की सीमा समाप्त होते ही वाहन छोड़ देना और बेटी समेत पैदल आना।

दूसरी बात, तुन रास्ते में पीने के लिए पानी सोने की रत्नजड़ित सुराही में लाना। दूसरे दिन व्यापारी अपनी बेटी के साथ पैदल चल पड़े। गर्मी के दिन थे और तपती दुपहरी में पैदल चलकर बेटी की जान आफत में पड़ रही थी।

ऊपर से जब प्यास लगी तो सुराही का पानी ऐसा गर्म हो रहा था कि गले से न उतरता। दोनों किस तरह आश्रम पहुंचे और निढाल होकर एक तरफ पड़ गए। उनकी हालत देखकर संत ने कहा – बेटी! उधर देखो, एक काली मटकी रखी है। उसमे शीतल जल है, जाकर अपनी प्यास बुझा लो।

सेठ और उनकी बेटी लपक कर मटकी तक पहुंचे और जी भरकर पानी पिया, हाथ – मुँह धोए। अब संत ने हसते हुए कहा – देखा बेटी! सोने कि सुराही कितनी सुंदर थी पर जान में जान आई इस काली मटकी के जल से।

यही अंतर है रूप और गुण में। जीवनयात्रा बड़ी लम्बी है, रूप कि आयु बहुत कम है। आयु के साथ रूप घटता जाता है पर गुण बढ़ते जाते है। जीवनपथ पर कभी भी कष्टों का किसी भी रूप में सामना हो सकता है। उस समय गुण काम आते है, रूप नहीं। अब व्यापारी कि बेटी बात को अच्छे तरीके से समझ चुकी थी।

Moral : जीवन में रूप के महत्व को कम नहीं आँका जा सकता, पर वही सब कुछ नहीं होता। जब बात गुणों से तुलना की हो तो रूप का पलड़ा सदा ही हल्का रहता है।

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Abhishri vithalani

I am a Hindi Blogger. I like to write stories in Hindi. I hope you will learn something by reading my blog, and your attitude toward living will also change.

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