मन की शांति – Short Inspiring Story In Hindi
आप भगवान कि सेवा किसके लिए करते हे? क्या आप भगवान् से कुछ मांगने के लिए उसकी सेवा करते हे या फिर अपने मन कि शांति के लिए? हमें भगवान् से चाहे मांगने से कुछ भी मिल जाए पर दिल का चैन कभी नहीं मिलता हे। इसलिए हमें भगवान् कि पूजा सिर्फ अपने मन की शांति के लिए करनी चाहिए न कि कुछ मांगने कि वजह से। इस कहानी (मन की शांति – Short Inspiring Story In Hindi) में यही समझाया गया हे।
एक गरीब आदमी था। वो हररोज नजदीक के मंदिर में जाकर वहा साफसफाई करता और फिर अपने काम पर चला जाता था। अक्सर वो अपने प्रभु से कहता कि मुझे आशीर्वाद दीजिये तो मेरे पास ढेर सारा धन – दौलत आ जाए।
एक दिन ठाकुरजी ने बाल रूप में प्रकट होकर उस आदमी से पूछ ही लिया कि क्या तुम मंदिर में केवल इसलिए काम करने आते हो? उस आदमी ने पूरी ईमानदारी से कहा कि हां, मेरा उद्देश्य तो यही है कि मेरे पास ढेर सारा धन आ जाए इसलिए तो आपके दर्शन करने आता हु। पटरी पर सामान लगाकर बेचता हु। पता नहीं मेरे सुख के दिन कब आएंगे?
बाल रूप ठाकुरजी ने कहा कि तुम चिंता मत करो। जब तुम्हारे सामने अवसर आएगा तब ऊपर वाला तुम्हे आवाज थोड़ी लगाएगा। बस, चुपचाप तुम्हारे सामने अवसर खोलता जायेगा। युवक चला गया।
समय ने पलटा खाया वो अधिक धन कमाने लगा। इतना व्यस्त हो गया कि मंदिर में जाना ही छूट गया। कई वर्षो बाद वह एक दिन सुबह ही मंदिर पंहुचा और साफसफाई करने लगा।
ठाकुरजी फिर प्रकट हुए और उस व्यक्ति से बड़े ही आश्चर्य से पूछा क्या बात है, इतने वर्षो बाद आये हो, सुना है बहुत बड़े सेठ बन गए हो!
वह व्यक्ति बोला मैंने बहुत धन कमाया। अच्छे घरो में बच्चो की शादिया की, पैसो की कोई कमी नहीं है, पर दिल में चैन नहीं है। ऐसा लगता था कि रोज सेवा करने आता रहु, पर आ न सका।
हे प्रभु, आपने मुझे सब कुछ दिया पर जिंदगी में चैन नहीं दिया। प्रभु ने कहा कि तुमने वह मांगा ही कब था? जो तुमने मांगा वो तो तुम्हे मिल गया ना, फिर आज यहा क्या करने आये हो?
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उसकी आँखों में आंसू भर आए। ठाकुरजी के चरणों में गिर पड़ा और बोला – अब कुछ मांगने के लिए में सेवा नहीं करुगा। बस दिल को शांति मिल जाए।
ठाकुरजी ने कहा – पहले तय कर लो कि अब कुछ मांगने के लिए मंदिर की सेवा नहीं करोगे, बस सिर्फ अपने मन की शांति के लिए ही आओगे।
ठाकुरजी ने समझाया कि चाहे मांगने से कुछ भी मिल जाए पर दिल का चैन कभी नहीं मिलता हे। इसलिए हमें सेवा के बदले कुछ मांगना नहीं चाहिए।
वो व्यक्ति बड़ा ही उदास होकर ठाकुरजी को देखता रहा और बोला – मुझे कुछ नहीं चाहिए। आप बस मुझे सेवा करने दीजिये। सच मे मन कि शांति सबसे अनमोल हे।
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