Inspiring Short Stories

तथास्तु – Short Inspiring Story In Hindi

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Written by Abhishri vithalani

तथास्तु – Short Inspiring Story In Hindi

हमने जो कुछ भी प्राप्त किया है उसे हमें स्वीकार करना चाहिए, ना की दुसरो को ईष्या देनी चाहिए। जो दुसरो को ईष्या देता है वह मन की शांति प्राप्त नहीं करता है। इस कहानी (तथास्तु – Short Inspiring Story In Hindi) में उसी के बारे में बताया गया है।

पुराने समय की बात है। किसी गांव में दो किसान रहते थे। दोनों बड़े गरीब थे। उनके पास थोड़ी सी जमीन थी जिस पर खेती करके अपना और अपने परिवार का गुजारा किया करते थे। समय गुजरा और उन दोनों की मृत्यु एक साथ ही हुई।

दोनों को यमराज के पास ले जाया गया। यमराज ने पूछा – बताओ की तुम्हारे इस जीवन में क्या कमी थी? तुम्हे क्या चाहिए और तुम्हे क्या बनाकर पुनः इस संसार में भेजा जाए?

पहला किसान क्रोध से बोला – प्रभु! आपने इस जन्म में मुझे बहुत ही घटिया जिंदगी दी, कुछ भी नहीं दिया मुझे। पूरा जीवन मैंने खेतो में बैल की तरह काम किया। जो मैंने थोड़ा बहुत कमाया वह भी पेट भरने में ही खर्च हो गया।

ना तो मैंने और न ही मेरे परिवार ने अच्छे वस्त्र पहने और न ही अच्छा खाना खाया। यह सुनकर यमराज कुछ समय मौन रहे, फिर वह पुनः बोले – तो बताओ अब तुम क्या चाहते हो?

इस पर किसान बोला कुछ ऐसा कीजिये की मेरे चारो और से पैसे – ही – पैसे बरसे परन्तु मुझे किसी को कुछ न देना पड़े। प्रभु बोले – तथास्तु!

यमराज ने दूसरे किसान से पूछा – तुम्हारी क्या इच्छा है? क्या तुम्हे भी मुझसे शिकायत है? किसान बोला – नहीं महाराज! आपसे मैं क्या मांगू? आपने तो मुझे सब कुछ दिया है , दो हाथ , दो पैर, अन्न उपजाने ले लिए जमीन , भूख दूर करने के लिए भोजन , तन ढकने के लिए पर्याप्त मात्रा में वस्त्र।

सिर्फ एक कमी लगी मुझे अपने जीवन में की सिमित मात्रा में अन्न – धन होने के कारण मैं अपने द्वार पर आए भखे और जरूरतमंद लोगो की सहायता नहीं कर सका। कुछ ऐसा कीजिये की अब जो मिले तो सुपात्रो की खूब मन से सेवा – सहायता कर सकू।

पहला किसान की जिसने अपने चारो ओर धन की और किसी को कुछ ना देने की कामना की थी, वह उस गांव का सबसे बड़ा भिखारी बना। हर कोई उसकी झोली में धन डालता किन्तु उसे किसी को कुछ भी न देना पड़ता।

दूसरा किसान उस गांव का बड़ा धनी एवं धर्मात्मा व्यक्ति बना, कोई भी उसके द्वार से खाली नहीं जाते, वह सबकी तन – मन – धन से सहायता किया करता।

हमने जो कुछ भी प्राप्त किया है उसे हमें स्वीकार करना चाहिए, ना की दुसरो को ईष्या देनी चाहिए। जो दुसरो को ईष्या देता है वह मन की शांति प्राप्त नहीं करता है।

अगर आपको हमारी Story (तथास्तु – Short Inspiring Story In Hindi) अच्छी लगी हो तो अपने दोस्तों के साथ भी Share कीजिये और Comment में जरूर बताइये की कैसी लगी हमारी Story।

About the author

Abhishri vithalani

I am a Hindi Blogger. I like to write stories in Hindi. I hope you will learn something by reading my blog, and your attitude toward living will also change.

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