Short Stories

तक़दीर का खेल – Short Story In Hindi

taqadeer-ka-khel-short-story-in-hindi
Written by Abhishri vithalani

तक़दीर का खेल – Short Story In Hindi

आप जब अपना काम ईमानदारी से नहीं करते है तो उसका क्या परिणाम आता है ये इस कहानी (तक़दीर का खेल – Short Story In Hindi) में बताया गया है।

कीमती रत्न के व्यापारी मनसुख लाल के दो बेटे थे। जिनका नाम ललित और दिप था। ललित को दौलत और रुतबे का बहुत घमंड था। जहा दूसरी तरफ दिप एक शरीफ और सुलझा हुआ इंसान था।

घमंड के साथ – साथ ललित में ईर्ष्या और बेईमानी जैसे अवगुण भी थे। समय के साथ – साथ मनसुख लाल की उम्र बढ़ती जा रही थी। ऐसे में उनके दोनों बेटो ने कारोबार में पिता का अधिक से अधिक हाथ बटाना शुरू कर दिया था।

कुछ समय के पश्चात् मनसुख लाल चल बसे और कारोबार का पूरा भार ललित और दिप के कंधो पर आ गया। बड़ा भाई होने के नाते ललित ने व्यापारिक फैसलों में अपनी मर्जी चलानी शुरू कर दी।

ललित बेईमानी और मक्कारी भरे फैसले लेने लगा। असली रत्न के नाम पर वह नकली रत्न का व्यापार करने लगा। जिससे उसका मुनाफा बढ़ने लगा। दौलत के घमंड में वह परिवार में उन्मादी जैसा व्यवहार करने लगा।

दूसरी तरफ दिप को शुरू – शुरू में ललित की बेईमानी का पता नहीं चला, लेकिन जब उसने उसके व्यवहार में परिवर्तन देखा तो पुरे माजरे को समझने में उसे ज्यादा देर नहीं लगी।

उसने ललित को समझाने और सही रास्ते पर लाने की कोशिश भी की, परंतु वह नाकाम रहा। उलटे ललित दिप से खफा हो गया और व्यापार में बंटवारे का बहाना ढूढ़ने लगा।

बंटवारे में भी उसने बेईमानी की साजिश रची। दिप के हिस्से के व्यापार पर भी वह कब्ज़ा कर बैठा। ललित के व्यवहार से दुखी होकर दिप ने शहर में दूसरी जगह अपना ठिकाना बनाया और रत्न के अपने व्यापार को नए सिरे से शुरू किया।

ईमानदारी की नींव पर शुरू हुआ दिप का व्यापार जल्दी ही चल पड़ा। एक तरफ जहा दिप की ख्याति देश और विदेश में बढ़ने लगी, वही दूसरी तरफ ललित की करतूतों की पोल खुलने लगी।

नकली रत्न के व्यापार के कारण रत्न बाजार में ललित की साख को जोरदार धक्का लगा और उसके व्यापार का दायरा सिमटने लगा। अतः नौबत यहाँ तक आ गई की ललित को धन के अभाव में अपना घर, दूकान, सामान तक बेचना पड़ा।

जल्द ही ललित के हाथ से सब कुछ निकल गया और वह परिवार सहित सड़क पर आ गया। अब ललित को अपने किए पर पछतावा हो रहा था परंतु उसकी तक़दीर ने जो खेल खेला था, उससे आसानी से पीछे आना उसके लिए संभव नहीं था।

दूसरी तरफ दिप अपनी ईमानदारी और मेहनत की बदौलत रंक से राजा बन गया था। जब ललित की बदहाली की खबर दिप को पड़ी तो उसे बड़ा दुःख हुआ।

पुरानी बातो को भूलकर वह भागा – भागा अपने बड़े भाई ललित के पास पंहुचा और ललित के लाख मना करने के बावजूद भी उसे परिवार सहित पास ले आया।

अगर आपको हमारी Story ( तक़दीर का खेल – Short Story In Hindi ) अच्छी लगी हो तो अपने दोस्तों के साथ भी Share कीजिये और Comment में जरूर बताइये की कैसी लगी हमारी ये कहानी ।

About the author

Abhishri vithalani

I am a Hindi Blogger. I like to write stories in Hindi. I hope you will learn something by reading my blog, and your attitude toward living will also change.

Leave a Comment