क्रोध – Moral Story In Hindi
ये Story उन लोगो के लिए है जिनको अपने क्रोध को नियंत्रित करने में समस्या होती है । कही बार ऐसा होता है की हम अपने क्रोध की वजह से जो नहीं करना होता है वो कर देते है और बाद में अपने किये पर पछताते है ।
एक लड़का था । जिसे अपने स्वभाव को नियंत्रित करने में समस्या थी । जब भी वो क्रोधित होता था तब उसके दिमाग में जो भी आये वो बोल देता था । उसके इस स्वभाव के कारन कही लोगो को चोट पोहचतीं थी । उसके घरवाले भी इस स्वभाव के कारन काफी परेशान थे ।
उसके पिता को अब उसकी चिंता होने लगी थी और उन्होंने ठान लिया था की में अपने बेटे का यह स्वभाव बदल के ही रहुगा । एक दिन पिता ने अपने बेटे को कील और हथौड़े का एक थैला दिया और कहा, ” हर बार जब भी तुम क्रोधित हो तब , एक कील को लेना और हमारे घर के पीछे जो दीवार है उस पर लगा देना ” । बेटे के अपने पिता की बात मान ली और कहा अच्छा पापा ठीक है में वैसा की करुगा ।
कुछ ही दिनों में तो बेटे ने इतनी सारी कील लगा दी की आधा थैला खतम भी हो गया । अब कील की संख्या धीरे – धीरे कम हो रही थी और साथ में ही उसका क्रोध भी नियंत्रण में आ रहा था । एक दिन ऐसा आया की उसका क्रोध संपूर्ण नियंत्रण में आ गया था ।
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उसने अपने पिताजी को बताया की पापा अब मेरा स्वभाव बदल गया है और अब में अपने क्रोध में नियंत्रण ला सकता हु । उसके पिता ने उसको हर दिन एक कील निकालने को कहा और कहा की अपना आपा न खोए । बेटे ने भी पिता का कहना मान लिया और हररोज दीवार पर लगी कील में से एक कील निकालने लगा ।
अंत में एक दिन ऐसा आया की वो लड़का आखरी कील निकाल रहा था । पिता ने अपने बेटे से कहा की तुमने बेटे बहुत अच्छा किया पर क्या तुम इस दीवार में जो छेद हे वो देखते हो ? बेटे ने कहा की जी पापा में देख रहा हु की वो छेद वैसे के वैसे ही रहे है ।
पिता ने बेटे को समजाते हुए कहा की इसी तरह जब भी तुम क्रोध में आकर लोगो को कुछ भी बोल देते हो तब उस व्यक्ति के दिमाग में एक निशान छोड़ देते हो , जैसे कि कील के कारन इस दीवार पर निशान है वैसा ही । बेटे को अब उसके पिता क्या कहना चाहते हे वो समज में आ गया और उसने अपने क्रोध को नियंत्रित करना भी सीख लिया था ।
Moral: गुस्सा बेहद खतरनाक है । जब भी हम गुस्से में आकर किसी को कुछ भी कह देते है तब बाद में माफ़ी मांगने पर भी हम अपने बोले हुए शब्द को वापिस नहीं ले सकते है । हमारे लिया अच्छा यही होता है की हम अपने गुस्से पर काबू पा ले ।