Bedtime Stories For Kids In Hindi
बच्चों के लिए रात की कहानियाँ हमेशा मनोहर होती हैं। यह संग्रह (Bedtime Stories For Kids In Hindi) विभिन्न रंग-बिरंगे किस्सों से भरा हुआ है जो छोटे बच्चों को सपनों की दुनिया में ले जाते हैं। यहां हर कहानी एक सीख या मैसेज के साथ है, जो छोटे बच्चे सुनेंगे और सीखेंगे। इस संग्रह के माध्यम से बच्चों को नींद से पहले एक पॉजिटिव और मनोहर अनुभव मिलेगा।
- दो सच्चे दोस्त – Inspirational Story In Hindi
ये कहानी है दो सच्चे दोस्त की । एक गाँव में मोन्टू और पिंकू नाम के दो दोस्त रहते थे । मोन्टू 11 साल का था और पिंकू 8 साल का था । वो दोनों हमेंशा साथ में ही खेलते थे और एक दूसरे पे जान छिड़कते थे ।
एक दिन की बात है , मोन्टू और पिंकू खेलते – खेलते एक कुंवे के पास आ पहुंचे और वो दोनों खेलने में इतने व्यस्त थे की उनका ध्यान ही नहीं रहा और गलती से मोन्टू कुंवे में गिर गया । मोन्टू को कुंवे में गिरा देख के पिंकू जोर – जोर से चिल्लाने लगा । वहा पर आस – पास कोई भी नहीं था इसलिए पिंकू के चिल्लाने पर भी उसकी आवाज किसी ने नहीं सुनी ।
काफी देर तक चिल्लाने के बाद पिंकू को लगा की मोन्टू अब कुंवे में दुब जायेगा । उसने देखा की कुंवे के बगल में एक बाल्टी रस्सी से बांध रखी है । पिंकू ने तुरंत उस बाल्टी को कुंवे में फेंक दिया और मोन्टू से कहा की इसको पकड़ लो । मोन्टू ने उस बाल्टी को पकड़ लिया और फिर पिंकू रस्सी को अपनी तरफ खींचने लगा । पिंकू ने काफी मेहनत की और रस्सी को बहुत जोर से काफी वक्त तक खींचा । आखिर में मोन्टू बहार आ ही गया ।
दोनों ने एक – दूसरे को गले लगाया और फिर घर जाने के लिए आगे बढे । रास्ते में दोनों ने यह तय किया की हम घर जा कर बाकि सभी को भी ये बात बतायेगे । कुछ देर बाद वो दोनों घर पर पहुंच गए और सभी घरवालों को और उनके आस – पड़ोस में रहनेवाले सभी लोगो को ये बात बताई ।
इतने सारे लोगो के बिच में सिर्फ एक दादाजी ही ऐसे थे की वो ये दो दोस्त की बात मानने के लिए तैयार थे । बाकि लोगो को जैसे पता चला की ये दादाजी मोन्टू और पिंकू की बात मान रहे है उन लोगो ने उस दादाजी से पूछा की आप ने कैसे ये दोनों की बात मान ली ?
दादाजी ने उन लोगो को बताया की ये बच्चे सच बोल रहे है , पिंकू ने मोन्टू को बचाया होगा क्योकि जब मोन्टू कुंवे में गिर गया था तब पिंकू के सिवाय वहा पर दूसरा कोई भी नहीं था जो मोन्टू को बचा सके । ये बात पिंकू भी जानता था की सिर्फ वो ही मोन्टू को बचा सकता है और वहा पर पिंकू को तुम ये नहीं कर सकते हो ऐसा बोलने वाला भी कोई नहीं था इसलिए पिंकू मोन्टू को बचा पाया ।
दादाजी की बात सुनकर बाकि सारे लोग भी समज गए और ये दो दोस्त की बातो पर भरोसा करने लगे ।
Moral : जब हमें ऐसा बोलने वाला कोई भी नहीं होता है की तुम ये नहीं कर सकते हो तब हम कुछ भी कर सकते है क्योकि उस वक्त हम सिर्फ अपने आप की बात ही सुनते है ।
- बुरी आदत – Moral Story In Hindi
ये कहानी उन लोगो के लिए है जिन्हे किसी भी प्रकार की बुरी आदत है और वो ऐसा मानते है की कुछ समय के बाद वक्त आने पर में इस आदत को छोड़ दूंगा ।
एक बहुत ही अमीर आदमी था । वो अपने बेटे की किसी बुरी आदत के लिए परेशान था । वो जब भी अपने बेटे को उस आदत को छोड़ने के लिए कहता था तब उसका बेटा कहता था की पापा में अभी तो बहुत ही छोटा हु वक्त आते ही में धीरे – धीरे ये आदत छोड़ दूंगा ! पर उसका बेटा कभी भी उस आदत को छोड़ने का प्रयास नहीं करता था ।
कुछ दिनों के बाद एक महात्मा उसके गाँव में पधारे हुए थे । वो आदमी अपने बेटे को उस महात्मा के पास लेकर गया और महात्मा को अपनी समस्या बताई । महात्मा ने उनसे कहा की आप अपने बेटे को कल सुबह बगीचे में लेकर आइये में वही आपकी समस्या का समाधान करुगा ।
अगले दिन बाप और बेटा दोनों बगीचे में पहुंच गए । महात्मा में बेटे से कहा की आओ बेटा हम दोनों बगीचे की सैर करते है । बगीचे में सैर करते – करते महात्मा अचनाक रुक गए और फिर उन्होंने बेटे से कहा की क्या बेटा तुम इस पौधे को उखाड़ सकते हो ? बेटे ने कहा जी जरूर इनमे कोनसी बड़ी बात है और ऐसा बोलते ही उसने पौधे को बड़ी ही आसानी से उखाड़ दिया ।
धीरे – धीरे आगे बढ़ते हुए महात्मे ने बड़े पौधे की तरफ इशारा करते हुए बेटे से कहा की क्या तुम इस पौधे को उखाड़ सकते हो ? बेटे को तो इस काम में मजा आ रहा था वो बोला जी बिलकुल उखाड़ सकता हु । इस बार बेटे को ये काम करने में थोड़ी ज्यादा मेहनत करनी पड़ी पर कुछ प्रयत्नो के बाद उसने पौधे को उखाड़ ही लिया ।
कुछ देर बाद थोड़ा आगे बढे वो दोनों और फिर महात्मा ने एक नीम के पेड़ की तरफ इशारा करते हुए बेटे से कहा की क्या तुम ये पेड़ को उखाड़ सकते हो ? बेटे ने पेड़ को पकड़ा और फिर जोर – जोर से खींचने लगा । बहुत प्रयत्न करने के बावजूद भी वो पेड़ को नहीं उखाड़ सका । बेटे ने महात्मा से कहा की इस पेड़ को उखड़ना तो असंभव है क्योकि ये पेड़ तो बहुत ज्यादा मजबूत है ।
महात्मा ने बेटे को समजते हुए कहा की बेटा ठीक इसी तरह बुरी आदतों का साथ होता है । जब तब हमारी बुरी आदत नयी होती है तब तक हम उसे आसानी से छोड़ सकते है । जैसे ही हमारी बुरी आदते पुरानी हो जाती है तब उसे छोड़ना मुश्किल हो जाता है और कही बार तो नामुनकिन हो जाता है ।
Moral : हम अपनी बुरी आदतों को आसानी से छोड़ सकते है जब तक वो नयी होती है । कुछ वक्त के बाद हमारे लिए अपनी पुरानी आदतों को छोड़ना मुश्किल या फिर नामुनकिन हो जाता है ।
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Hindi Story For Children With Moral – अंदर की आवाज
जब भी हम कोई गलत काम करते है तब हमारे अंदर की आवाज हमें ऐसा करने से रोकती है । ये कहानी ( अंदर की आवाज – Hindi Story For Children With Moral ) उसी के बारे में है ।
शाम का वक्त था , सोसाइटी के पार्क में बच्चे खेल रहे थे । उन्ही बच्चो में सोनू और जय भी शामिल थे । सोनू के पास टॉफ़ी का एक पैकेट था और जय के पास सूबसूरत रंग-बिरंगे पत्थर थे । जय अपने पत्थरों से खेल रहा था ।
तभी सोनू की नजर जय के पत्थरों पर गयी । सोनू को भी उन सूबसूरत पत्थरों से खेलने का मन हो गया । वो तुरंत जय के पास जाती है और उसे कहती है , जय क्या तुम मुझे ये सारे पत्थर दे सकते हो ? में तुम्हे इन सारे पत्थरों के बदले में टॉफ़ी का ये पैकेट दे दूंगी ।
सोनू के हाथ में टॉफ़ी का पैकेट देखकर जय के मुंह में पानी आ गया । जय ने सोचा की इन पत्थरों से तो मैं कई दिनो से खेल रहा हूँ , क्यों ना इन्हे देकर टॉफियाँ ले लूँ ।
जय ने सोनू से कहा अच्छा ठीक है में अभी तुम्हे अपने पत्थर दे देता हूँ , ऐसा बोलकर वो दूसरी तरफ घूम कर पत्थर उठाने लगा । अपने पसंदीदा पत्थरों को देखकर उसके मन में लालच आ गया और उसने कुछ पत्थर अपनी जेब में ही छुपा लिए और बाकि के पत्थर सोनू को दे दिए ।
सोनू ने तुरंत टॉफ़ी का पैकेट जय को दे दिया । अब सोनू उन रंग-बिरंगे पत्थरो से खेलने लगती है । खेलते खेलते अब शाम ढल गयी और सभी बच्चे अपने-अपने घरों में वापिस लौट जाते है ।
रात को सोते समय जय को मन में ख़याल आता है की आज मेने पत्थरों के लालच में सोनू के साथ चीटिंग की है । उसे ऐसा लगता है की उसने आज अच्छा नहीं किया । वो अब खुद को समझाने लगता है की क्या पता जिस तरह मेने कुछ पत्थर छुपा लिए थे उसी तरह सोनू ने भी कुछ टॉफियाँ छिपा ली हो ।
वो ये सब सोच कर बहुत परेशान हो रहा था और उसे पूरी रात नींद भी नहीं आयी । दूसरी तरफ सोनू पत्थरों से खेलते खेलते कब गहरी नीद में सो जाती है उसे पता भी नहीं चलता है ।
अगली सुबह जय ने ये तय किया की में सोनू के घर जाकर मेने जो पत्थर छिपाये थे उसे लौटा दूंगा । वो सोनू के घर जाता है और दरवाजा खटखटाता है । सोनू दरवाजा खोलती है तो सामने जय खड़ा होता है ।
जय अपनी जेब में से पत्थर निकालता है और सोनू से कहता है की ये लो सोनू इन्हे भी रख लो । पत्थर देकर जय अपने घर की ओर भागता है ।
उस रात जय को अच्छे से नीद आ गई ।
जब भी हम कुछ गलत करते है या फिर गलत करने के बारे में सोचते है तब हमारे अंदर की आवाज हमें ऐसा करने से रोकती है । ये हम पर निर्भर करता है की हम अपने अंदर की आवाज को सुनते है या फिर नज़रअंदाज कर देते है ।
गलती किसी से भी हो सकती है लेकिन सही समय पर उस गलती को सुधारना भी बहुत अच्छी बात होती है । जय ने इस कहानी में अपनी गलती सुधारने की हिम्मत की और वो ऐसा कर भी पाया । हमें भी इसी तरह अपने अंदर की आवाज सुननी चाहिए और Guilt Free Life जीनी चाहिए ।
Moral : हमें अपनी गलती सही वक्त पर सुधार लेनी चाहिए ।
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