सियार और ढोल – Short Panchtantra Story In Hindi
किसी भी समस्या का समाधान डरने के नहीं बल्कि डटकर उस समस्या का सामना करने से मिलता है। ये कहानी (सियार और ढोल – Short Panchtantra Story In Hindi) उसी के बारे में है।
एक दिन, जैकी नामक एक सियार बहुत भूखा था, और भोजन की तलाश में इधर-उधर घूम रहा था।
भोजन की तलाश करते करते कुछ समय बाद, वह जिस जंगल में रहता था, उससे भटककर एक निर्जन युद्धक्षेत्र में पहुँच गया।
इस वीरान रणभूमि में हाल ही में एक युद्ध लड़ा गया था, लड़ने वाली सेनाएँ एक ड्रम छोड़ गई थीं, जो एक पेड़ के पास पड़ा हुआ था।
तेज़ हवा चलने से पेड़ की शाखाएँ ड्रम से रगड़ने लगीं। इससे अजीब सी आवाज आने लगी।
जब सियार ने यह आवाज सुनी तो वह बहुत भयभीत हो गया और उसने भागने की सोची, “अगर मैं यह शोर मचाने वाले व्यक्ति द्वारा देखे जाने से पहले यहां से भाग नहीं सका, तो मैं मुसीबत में पड़ जाऊंगा।”
जैसे ही वह भागने वाला था, उसके मन में दूसरा विचार आया। “बिना जाने किसी चीज़ से भागना मूर्खता है। इसके बजाय, मुझे इस शोर के स्रोत का पता लगाने में सावधानी बरतनी चाहिए”।
उसने सावधानी से आगे बढ़ने का साहस किया। जब उसने ड्रम देखा तो उसे एहसास हुआ कि यह तो हवा ही थी जो सारा शोर पैदा कर रही थी।
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उसने भोजन की तलाश जारी रखी और ड्रम के पास उसे पर्याप्त भोजन और पानी मिला।
बुद्धिमान तो सचमुच कहते हैं: केवल बहादुर ही जीवन में सफल होते हैं।
अगर सियार ने इस शोर के स्रोत का पता नहीं लगाया होता तो उसे पर्याप्त भोजन और पानी नहीं मिलता और साथ ही साथ उसके मन में हमेशा डर रहता की ये शोर कहा से आ रहा था।
इसलिए हमें मुश्किल समय में हार मानकर नहीं बल्कि समस्या का सामना करने से सफलता मिलती है। हमें अपनी बहदुरी से ही जीवन में सफलता मिलती है।
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