शेर और भालू – Panchtantra Moral Story In Hindi
अगर हम किसी से मदद लेते है, तो हमें उसकी भी मदद करनी चाहिए। हम दूसरों के साथ बुरा करेंगे, तो हमारे साथ भी बुरा ही होगा। ये कहानी (शेर और भालू – Panchtantra Moral Story In Hindi) में भी कुछ ऐसा ही हुआ है।
कई साल पहले की बात है, एक शेर एक जंगल में आवास करता था। वह शेर बहुत ही चालाक था और उसकी यह विशेष बात थी कि वह हर जानवर से दोस्ती करके अपना लाभ उठाता था। शेर अपना काम दुसरो से ख़तम होने के बाद जब सामने वाले को उसका काम पड़े तब पीठ दिखा देता था।
जंगल के सभी जानवर जान चुके थे कि शेर दोस्ती करके अपना उद्देश्य पूरा करता है और फिर दूसरों की मदद नहीं करता। इसलिए सभी जानवर उससे दूर रहने लगे।
बहुत समय तक जंगल में दोस्तों की तलाश में घूमते-घूमते, शेर को कोई दोस्त नहीं मिला।
एक दिन, जब वह अपनी गुफा की ओर बढ़ रहा था, तो उसने देखा कि वहाँ एक बूढ़ा भालू भी गुफा बना कर रह रहा था। यह दृश्य से उसके मन में एक विचार उत्पन्न हुआ कि इस बार वह भालू के साथ दोस्ती करके अपना फायदा उठा सकता है।
रोज़ शेर यही सोचता था कि कैसे वह भालू से बात करें, लेकिन कोई अच्छा बहाना नहीं मिला। दिन बीत गए, लेकिन उसको भालू से बात करने का कोई मौका नहीं मिला। एक दिन उसने देखा कि भालू बूढ़ा है, और उसका मतलब है कि वह किसी काम का नहीं होगा। शेर के मन में आया कि यह बूढ़ा भालू उसके काम का नहीं हो सकता और दोस्ती करके फायदा उठाने का कोई मौका नहीं होगा।
एक दिन शेर ने भालू को चिड़िया से बात करते हुए सुना। चिड़िया भालू से पूछ रही थी, “तुम इतने बूढ़े हो गए हो, तो अपने लिए खाना कैसे ढूंढ़ते हो?”
भालू ने उसे बताया, “पहले तो मैं मछली पकड़कर खा लेता था, लेकिन अब मैं ऐसा नहीं कर पाता। इसका मतलब यह नहीं है कि मैं भूखा रहता हूँ। मैं अब शहद खाता हूँ, उसका स्वाद बहुत अच्छा है। इसके लिए मुझे घने जंगल में जाना होता है और मधुमक्खियों से शहद लेकर आना पड़ता है।”
यह सारी बातें सुनने के बाद शेर के मन में आया कि उसने कभी शहद नहीं चखा है और अब वह इस भालू से दोस्ती करके शहद का स्वाद चखना चाहता है।
इसी सोच के साथ शेर ने एक योजना बनाई। उसने योजना के अनुसार भालू के पास जाकर कहा, “तुमने मुझे पहचाना? जब तुम जवान थे, तो तुमने मेरे लिए कुछ मछलियाँ तालाब से निकाल कर खिलाई थीं। तुमने मेरी बड़ी मदद की थी, और हमेशा मैं खो जाता था और तुम्हारे पास आता था।”
भालू को कुछ याद नहीं आया। वह सोच रहा था कि यह बहुत समय पहले की बात है। इस दौरान शेर ने कह दिया, “ठीक है, मैं जा रहा हूँ। अगर कभी तुम्हें मेरी मदद की आवश्यकता हो, तो मुझे याद करना।” इसके बाद, शेर अपनी गुफा में वापस चला गया।
भालू भी अपने घर चला गया, लेकिन उसके मन में शेर की बातें घूम रही थीं। वह सोच रहा था कि एक दिन तो उसे किसी से बात करनी चाहिए।
अगले दिन शेर ने फिर कोई बदली सोच के साथ भालू के पास जाकर बातचीत शुरू की। उसने धीरे-धीरे भालू से दोस्ती करने का प्रयास किया। एक दिन, शेर ने भालू को अपने घर पर खाने के लिए बुलाया।
यहाँ तक कि भालू खाने के लिए बहुत खुश था। लेकिन शेर के मन में था कि वह किसी तरह से भालू को रात का खाने नहीं देगा। उसने सोच लिया कि मैं एक ही थाली में खाना लगा कर उसे जल्दी से खत्म कर दूंगा ताकि भालू को कुछ ना मिले।
रात के समय, जब भालू शेर के घर गया, तो शेर ने वही किया जो वह सोचा था। उसने एक थाली में खाना लिया और तेज़ी से खाने लगा। भालू बूढ़ा था और वह आराम से खाने बैठा। तभी शेर ने अपने खाने को जल्दी से खत्म कर दिया। भालू बहुत निराश हुआ। शेर ने कहा, “दोस्त, मैं ऐसे ही खाना खाता हूँ, हमें जल्दी से खाना खत्म करना चाहिए।”
दुखी मन से भालू अपने घर लौट आया। अगले दिन, चिड़िया ने भालू से पूछा, “तुम इतने दुखी क्यों हो?”
भालू ने रात के हुए घटना का विवरण दिया। चिड़िया हँसते हुए बोली, “तुमने शेर के साथ खाना खाने में क्या गलती की! वह तो हमेशा दोस्ती करता है और फिर अपना फायदा उठाता है। वह कभी भी किसी की मदद नहीं करता। अब तुम्हें उसे सबक सिखाना चाहिए।” इसके बाद, चिड़िया वहाँ से उड़ गई।
भालू ने भी अपना मन बना लिया कि वह शेर को सबक सिखाएगा। इसी सोच के साथ भालू एक बार फिर शेर की गुफ़ा में गया। उसने बिल्कुल सामान्य तरीके से उससे बात की। उसने शेर को लगने ही नहीं दिया कि उसे रात की बात का बुरा लगा है।
दोनों बातें करने लगे। बातों-ही-बातों में शेर ने भालू से पूछा, “दोस्त तुम अपना रोज़ का खाना कहा से लाते हो?”
भालू ने शेर को शहद के बारे में बता दिया। शेर ने शहद का नाम सुनते ही कहा, “दोस्त, तुमने तो आजतक मुझे शहद चखाया ही नहीं।” यह बात सुनते ही भालू के मन में हुआ कि अब शेर को सबक सिखाने का मौका मिल गया है। उसने कहा, “तुम्हें शहद खाना है? इतनी सी बात। तुम रात को मेरे घर खाने पर आ जाना। मैं तुम्हें शहद खिला दूँगा।”
शेर बड़ा खुश हुआ। वो रात होने का इंतज़ार करने लगा। रात होते ही शेर तेज़ी से भालू की गुफ़ा की तरफ बढ़ा।
शेर के आते ही भालू ने उसका स्वागत किया और बैठने के लिए कहा। उसके बाद भालू ने अपने घर का दरवाज़ा बंद कर दिया।
शेर ने पूछा, “तुम दरवाज़ा क्यों बंद कर रहे हो?” भालू ने कहा, “अगर शहद की ख़ुशबू किसी और ने सूंघ ली, तो वो यहाँ आ जाएगा, इसलिए दरवाज़ा बंद करना ज़रूरी है।”
अब भालू ने मधुमक्खी का एक छत्ता लाकर शेर के सामने रख दिया और कहा, “इसी के अंदर शहद है।”
जैसे ही शेर ने उसके अंदर मुँह डाला, तो उसे मधुमक्खियों ने काटना शुरू कर दिया। उसके पूरे चेहरे पर सूजन हो गई। शेर जिस ओर भी भागता, मधुमक्खियाँ उसका उधर पीछा करतीं।
आखिर में शेर ने भालू से पूछा, “तुमने मुझे बताया क्यों नहीं कि शहद कैसे खाना है?” भालू ने तमतमाते हुए जवाब दिया, “मैं शहद ऐसे ही खाता हूँ।”
शेर समझ गया कि भालू ने उससे बदला लिया है, इसलिए वो वहाँ से चुपचाप चला गया।
Moral : अगर किसी से मदद लो, तो उसकी मदद करने के लिए तैयार भी रहो। हम दूसरों के साथ बुरा करेंगे, तो हमारे साथ भी बुरा ही होगा, क्योंकि कर्म किसी को नहीं छोड़ता।
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