Real Ghost Story In Hindi – कर्ज़दार लेकिन ईमानदार
इस कहानी ( Real Ghost Story In Hindi – कर्ज़दार लेकिन ईमानदार ) में एक लड़की की आत्मा मरने के बाद भी अपना कर्ज़ चुकाने के लिए भटकती रहती है । उसकी आत्मा को तभी शांति मिलती है जब वो अपना कर्ज़ चूका देती है । वो अपना कर्ज़ कैसे चुकती है ये जानने के लिए आपको पढ़नी होगी ये कहानी ( Real Ghost Story In Hindi – कर्ज़दार लेकिन ईमानदार )।
हर्ष बस में बैठकर हररोज की तरह ऑफिस जा रहा था । आज भी वो 10 मिनट Late था उसलिए वो बहुत परेशान था । बॉस मुझे आज भी बहुत डाटने वाले है ये सब उसके दिमाग में चल रहा था ।
तभी उसके कंधे पर किसी ने हाथ रखा और मीठी आवाज में कहा excuse me , क्या में यहाँ पर बैठ सकती हु ? हर्ष हां बोलने जा रहा था लेकिन उस खुबसुरत लड़की को देखकर उसकी आवाज गले में ही अटक जाती है और उसने सिर्फ सर हिलाकर हां में संकेत दिया । वो लड़की उसके पास बैठ गयी ।
उस लड़की के शरीर में से एक अलग ही मन मोहक खुशबु आ रही थी । उसकी बड़ी – बड़ी आँखे थी और लम्बे बाल थे । हर्ष की नजर सिर्फ उस लड़की के चेहरे पर टिक गयी थी और उसका दिल अब सिर्फ उस लड़की के बारे में सोच रहा था । ऑफिस में बॉस क्या कहेगे इसके बारे में वो अब सोच नहीं रहा था ।
तभी उस लड़की ने हर्ष से पूछा की , आपको कहा जाना है ? हर्ष उस लड़की को देखकर इतना पागल हो गया था की वो खुद ही भूल गया की उसे कहा जाना था । वो लड़की मासूमियत भरी नजरो के साथ उसके जवाब का इन्तजार कर रही थी । तभी हर्ष को अपना बेग देखकर याद आता है की वो ऑफिस जा रहा था ।
याद आते ही हर्ष ने तुरंत लड़की को जवाब दिया एम .जी रोड ! वो लड़की मुस्कुराते हुए बोली आपका स्टॉप बस आने ही वाला है । हर्ष को उस लड़की की आवाज बहुत अच्छी लग रही थी ।
हर्ष के दिमाग में सिर्फ उस लड़की के बारे में ख्याल आ रहे थे । वो जानता था की वो एक अनजान लड़की है फिर भी वो सिर्फ उसी के बारे में लगातार सोच रहा था । तभी उस लड़की ने हर्ष के कंधो पर हाथ रखा और वो बोली आप कहा खो गए ? आपका स्टॉप आ गया और मेरा भी ।
इतना सुनने के बाद हर्ष बहुत खुश हो जाता है क्योकि अब वो कुछ और पल उस लड़की को देख पायेगा । बस रुकी और वो दोनों उतर गए इसके बाद हर्ष अपने ऑफिस चला गया और वो लड़की भी अपने ऑफिस चली गयी ।
उस लड़की के बारे में सोचते – सोचते हर्ष ऑफिस में पहुंच जाता है । आज बॉस की डाट भी हर्ष पर कोई असर नहीं कर रही थी , उसका पूरा दिन ऑफिस में उस लड़की के बारे में सोचकर चला जाता है ।
शाम को जब ऑफिस से छुट्टी हुई तभी भी वो बस से घर वापिस जाते वक्त उस लड़की के बारे में सोच रहा था । उसकी नजर बस में उसे ही ढूंढ रही थी पर वो लड़की कही नहीं थी । हर्ष घर पहुंचकर डिनर करने के बाद सोने चला गया । नींद में भी उसको उस लड़की के सपने आने लगे ।
हर्ष को ऐसा सपना आया था की वो लड़की बहुत दुखी थी और हर्ष की हेल्प मांग रही थी । ऐसा सपना देखकर अचनाक उसकी नीद खुल गयी और उसे ऐसा लगा की ज्यादा सोचने के कारण ये सब हो रहा है ।
हर्ष अपना मन शांत करने के बाद वापिस सो जाता है । सुबह वो Late हो जाता है और जल्दी से तैयार होकर ऑफिस के लिए निकल जाता है । आज भी फिरसे उसकी बस छूट जाती है और वो दूसरी बस पकड़ लेता है ।
आज भी खिड़की वाली सीट खाली थी जिस पर वो कल बैठा था । वो उसी सीट पर जाकर बैठ जाता है । आज हर्ष को उम्मीद नहीं थी की वो लड़की फिर से आज आएगी । लेकिन थोड़ी देर बाद अचनाक हर्ष ने उस लड़की की आवाज सुनी , वो लड़की आज फिर से आई और उसने हर्ष से पूछा , Excuse me , क्या में यहाँ पर बैठ सकती हु ? उसके चेहरे पे आज Smile थी ।
हर्ष ने भी मुस्कुराते हुए उस लड़की को कहा जी जरूर । वो लड़की पास में बैठ जाती है और आज वो दोनों कुछ बाते भी करते है । उस लड़की ने अपना नाम रौशनी बताया । वो लड़की एम .जी रोड में ही कॉल सेन्टर में जॉब करती थी ।
हर्ष ने भी उसका नाम बताया और कहा की में एक कंपनी में सॉफ्टवेयर इंजीनियर की पोस्ट पर जॉब करता हु । अब रौशनी और हर्ष हररोज मिलने लगे । अब हर्ष की बस भी मिस नहीं होती थी क्योकि वो अब रौशनी से मिलने के लिए हररोज जल्दी उठकर तैयार हो जाता था ।
वो दोनों अब अच्छे दोस्त बन गए थे । हररोज एक – दूसरे से बाते करते थे । लेकिन उन दोनों के बिच में प्यार या फिर दोस्ती को लेकर कोई Commitment नहीं हुआ था फिर भी दोनों को एक दूसरे के साथ समय बिताना अच्छा लग रहा था ।
यूही दिन बीतते रहे और एक दिन रौशनी बस में आई लेकिन वो हररोज की तरह खुश नहीं थी । हर्ष ने उससे पूछा फिर भी वो कुछ नहीं बोली । थोड़ी देर के बाद रौशनी ने हर्ष से कहा की में तुम्हे कुछ कहना चाहती हु और इतना बोलकर वो रोने लगी ।
हर्ष ने उसे सँभालते हुए कहा , बोलो तुम क्या कहना चाहती हो । रौशनी ने कहा तुम आज ऑफिस मत जाओ , ऑफिस से छुट्टी ले लो प्लीज । हर्ष ने कहा बस इतनी सी बात और तुम इसके लिए रो रही हो । में नहीं जाऊंगा , अब रोना बंद करो ।
रौशनी ने कहा , में आज का दिन तुम्हारे साथ बिताना चाहती हु । हर्ष ने कहा अच्छा ठीक है हम आज पूरा दिन पार्क में बैठेंगे और वही पर कुछ खा लेंगे , में आज ऑफिस नहीं जाऊंगा ।
दोनों पार्क में पहुंचे , रौशनी बहुत खुश हो गयी । दोनों ने कुछ खाया और वो दोनों शाम तक वही पार्क में रहे । शाम के 5 बजे रौशनी ने हर्ष से कहा की आज तुम मेरा एक आखरी काम कर दो और उसने एक लिफाफा हर्ष को दिया । उस लिफाफे में एक लाख का चेक था और एक लेटर भी था । उस लिफाफे में एक एड्रेस भी लिखा हुआ था ।
रौशनी ने हर्ष से कहा की तुम इस एड्रेस पर ये लिफाफा पंहुचा दो । रौशनी ने ये भी कहा की वास्तव में मै ही इस लिफाफे को पहुंचना चाहती हु लेकिन मै वहा पर नहीं जा सकती हु क्योकि में उनकी कर्ज़दार हु । में उनसे नजर नहीं मिला सकती हु ।
हर्ष ने रौशनी से कहा तुम फ़िक्र मत करो में ये काम कर दूंगा । दोनों का मन वापिस घर जाने का नहीं था लेकिन जाना तो था उसलिए दोनों बस पकड़कर अपने अपने घर पहुंच गए । अगले दिन रविवार था उसलिए हर्ष सुबह आराम से सो कर 10 बजे जगा ।
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वो तैयार हुआ और उसने ये Decide किया की वो आज ही उस लिफाफे को उस एड्रेस पर पंहुचा देगा । वो 12 बजे उस एड्रेस पर पहुंच गया । घर के बाहर जाकर उसने डोरबेल बजाई । थोड़ी ही देर में दो बुजुर्ग कप्पल बाहर आये और उन्होंने पूछा कौन हो तुम ?
हर्ष ने कहा रौशनी ने ये लिफाफा भिजवाया है । उन दोनों ने एक दूसरे को देखा और फिर हर्ष को कहा की , बेटा तुम अंदर आ जाओ । हर्ष अंदर जाता है और अंकल उसे कुर्सी की तरफ इशारा करते हुए बैठने के लिए कहते है ।
आंटी जी ने कहा बेटा में तुम्हारे लिए चाय बनाकर लाती हु और वो अंदर किचन में चले जाते है । हर्ष ने कहा आंटी में पहले से चाय – नास्ता करके आया हु आप परेशान ना हो । पर फिर भी उन्होंने जिद करके बिठाया और बाते करने लगे ।
उन्होंने हर्ष से पूछा की बेटा तुम रौशनी को कैसे जानते हो ? तुम्हारा उससे क्या रिस्ता है ? हर्ष को समज में नहीं आ रहा था की में मेरा रौशनी के साथ क्या रिस्ता बताऊ । फिर उसने सब कुछ सच बता दिया ।
हर्ष की बात सुनकर वो दोनों अंकल – आंटी रोने लगे और उन्होंने दीवार पर लगी फोटो को दिखाकर कहा , बेटा तुम इसी की बात कर रहे हो ? हर्ष ने कहा हां आंटी में इसी रौशनी की बात कर रहा हु ।
तभी उन्होंने बताया की बेटा 6 जनवरी को हमारी बेटी की मौत एक बस एक्सीडेंट में हो गयी थी । हम दोनों उस पर आश्रित थे , वो सिर्फ हमारी बेटी नहीं बल्कि बेटा भी था ।
इतना जानने के बाद हर्ष का दिमाग काम करना बंद हो गया । उसे समज में नहीं आ रहा था की ये सब क्या हो रहा है । उसने अंकल – आंटी को वो लिफाफा खोलने के लिए कहा । उसने कहा की इसमें आप लोगो के लिए एक लेटर और एक लाख का चेक है ।
उन दोनों ने हर्ष को बताया की रौशनी पर 1 लाख का कर्ज था और वो उसे पूरा करने के लिए बहुत मेहनत कर रही थी । अब हर्ष को सारी बाते पता चल गयी थी की ये सब क्या हो रहा है पर वो अभी भी मानने को तैयार नहीं था की रौशनी पहले से ही मर चुकी है । वो अपना मन शांत करके वहा से अपने घर चला जाता है ।
फिर वापिस कभी भी हर्ष को रौशनी उस बस में नहीं मिली । धीरे – धीरे उसने भी ये मान लिया की वो तो रौशनी की आत्मा थी जो कर्ज पूरा करने के लिए आई थी ।
Note : ( Real Ghost Story In Hindi – कर्ज़दार लेकिन ईमानदार ) ये कहानी केवल मनोरंजन के लिए है इसके पीछे हमारा उदेश्य किसी भी प्रकार की अंधश्रध्धा का प्रसार करने का नहीं है ।
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