Motivational Stories In Hindi For Children
इस Post (Motivational Stories In Hindi For Children) में बच्चो के लिए कुछ Motivational Stories है।
- अतीत की बुरी यादे
बहुत सारे लोग अपनी अतीत की बुरी यादे वर्तमान में भी याद रखके हमेंशा उदास ही रहते है और जीना ही छोड़ देते है । ये Story एक 16 साल के छात्र की है । जो अपने अतीत की बुरी यादो की वजह से वर्तमान में भी उदास रहता है ।
एक दिन अध्यापक क्लास में पढ़ा रहे थे । क्लास में सभी छात्र अच्छे से रूचि के साथ उनका Lecture सुन रहे थे । अध्यापक जो भी सवाल पूछते थे सभी छात्र जवाब दे रहे थे । किन्तु उन सभी छात्रों के बिच में एक ऐसा भी छात्र था जो गुमसुम बैठा रहता था ।
अध्यापक ने पहले भी उस छात्र को Notice किया था । 4-5 दिन तक ऐसा ही चलता रहा । सारे बच्चे बड़ी रूचि के साथ पढ़ रहे थे और सभी सवालों के जवाब भी उत्साह के साथ दे रहे थे लेकिन ये छात्र एकदम चुप बैठा रहता था ।
अध्यापक ने एक दिन उस छात्र को अपनी केबिन में बुलाया और उनसे पूछा की बेटा तुम हमेंशा इतने गुमसुम क्यों रहते हो ?तुम्हे कोई परेशानी है क्या ? उस छात्र ने कहा सर वो और इतना बोलते ही वो हिचकिचाने लगा और हिचकिचाते उसने कहा की मेरे अतीत में कुछ ऐसा हुआ है की जिसकी वजह से में आज भी परेशान हु ।
वो अध्यापक अच्छे थे । उन्होंने देखा की वो छात्र बात करने में हिचकिचा रहा है । उन्होंने कहा की बेटा तुम शाम को मेरे घर पर आना । छात्र ने कहा अच्छा ठीक है सर ।
शाम को जब वो छात्र उस अध्यापक के घर पर जाता है तब अध्यापक उस छात्र को अंदर बुलाकर बिठाते है । फिर वो अध्यापक अंदर Kitchen में जाते है और उस छात्र के लिए निम्बू का सरबत बनाते है । वो जान बूझकर निम्बू के सरबत में नमक ज्यादा डालते है ।
Kitchen से बहार आकर वो उस छात्र को निम्बू सरबत देते है और कहते है की ये लो बेटा तुम निम्बू सरबत पियो । वो जब सरबत पिता है तब ज्यादा नमक के कारण उसका मुँह अजीब सा हो जाता है । ये देखकर अध्यापक उसे पूछते है की क्या हुआ बेटा ? तुम्हे मेरा बनाया हुआ निम्बू का सरबत पसंद नहीं आया ?
वो बोलता है जी नहीं सर ऐसी बात नहीं है , बस निम्बू के सरबत में थोड़ा नमक ज्यादा है । ये सुनते ही अध्यापक उसे कहते है की अब तो ये सरबत बेकार हो गया । लाओ में इसे फेक देता हु । अध्यापक छात्र के हाथ में से गिलास लेने के लिए अपना हाथ आगे बढ़ाते है ।
लेकिन छात्र ने मना कर दिया और कहने लगा की थोड़ा सा नमक ज्यादा है इसे फेकने की कोई जरुरत नहीं है , बस थोड़ी चीनी और मिलायेगे तो इसका स्वाद अच्छा हो जायेगा ।
छात्र के मुँह से ये बात सुनकर अध्यापक खुश हो जाते है और उसे कहते है की में भी तुम्हे यही कहना चाहता हु । ये निम्बू सरबत तुम्हारी जिंदगी है और इसमें अधिक नमक तुम्हारे अतीत की बुरी यादे है ।
जैसे ही हम इस नमक को निम्बू के सरबत में से बहार नहीं निकाल सकते है , वैसे ही तुम तुम्हारे अतीत की बुरी यादो को अपने जीवन में से नहीं निकाल सकते हो ।
लेकिन जिस तरह हम चीनी डालकर सरबत का स्वाद बदल सकते है , वैसे ही तुम अपनी अतीत की बुरी यादो को भूलने के लिए अपने जीवन में मिठास दाल सकते हो ।
में चाहता हु की तुम अपने अतीत के बुरे अनुभवों में वर्तमान की मिठास डालो और जिंदिगी को अच्छे से जिओ । अध्यापक की बाते वो अच्छे से समाज गया और उसने तैय किया की में अपने अतीत की सारी बाते भूल जाऊँगा और अपनी वर्तमान की जिंदिगी अच्छे से जीऊंगा ।
हम अक्सर अपने अतीत की बुरी यादो और अनुभवों को याद रखके परेशान होते है । अपने अतीत की वजह से हम अपना वर्तमान भी अच्छे से नहीं जी पाते है और अपना भविष्य भी खराब कर देते है ।
हमारे अतीत में जो कुछ भी हो गया है उसे हम नहीं बदल सकते है पर उसे हमेंशा याद रखकर हम अपने भविष्य को भी ख़राब करने की गलती कर देते है । बेहतर यही होता है की हम अपने अतीत को भूल जाये और अपने वर्तमान को अच्छे से जिए ।
- ज्ञानपिपासु – Short Motivational Story In Hindi
ज्ञान उसी को जल्दी प्राप्त होता है जिसे ज्ञान लेने की प्यास ज्यादा होती है। अगर आप किसी से बड़े हो या फिर आप ने कोई काम किसी और की तुलना में पहले से करना शुरू कर दिया है तो उसका मतलब ये नहीं है की आप दुसरो से पहले ही वो काम ख़तम कर दोंगे, काम तो कम समय में उसी से पहले खतम होगा जिसे उसे पूरा करने की प्यास ज्यादा होंगी। ये कहानी भी उसी के बारे में है।
एक गुरु के दो शिष्य थे। एक पढाई में बहुत तेज और विद्वान था और दूसरा उससे बिलकुल विपरीत। पहले शिष्य की हर जगह प्रशंसा और सम्मान होता था। जहा की दूसरे शिष्य की लोग उपेक्षा करते थे।
एक दिन रोष में दूसरा शिष्य गुरु जी के पास जाकर बोला, गुरूजी! में उससे पहले से आपके पास विद्याध्ययन कर रहा हु। फिर भी आपने उसे मुझसे अधिक शिक्षा क्यों दी? गुरूजी थोड़ी देर मौन रहने के बाद बोले, पहले तुम एक कहानी सुनो।
एक यात्री कही जा रहा था। रास्ते में उसे प्यास लगी। थोड़ी दूर पर उसे एक कुआं मिला। कुए पर बाल्टी तो थी लेकिन रस्सी नहीं थी। इसलिए वह आगे बढ़ गया। थोड़ी देर बाद एक दूसरा यात्री उस कुए के पास आया।
कुए पर रस्सी न देखकर उसने इधर – उधर देखा। पास में ही बड़ी बड़ी घास उगी थी। उसने घास उखाड़कर रस्सी बटना प्रारम्भ किया। थोड़ी देर में ही एक लम्बी रस्सी तैयार हो गयी। जिसकी सहायता से उसने कुए से पानी निकाला और अपनी प्यास बुझा ली।
गुरूजी ने उस शिष्य से पूछा, अब तुम मुझे ये बताओ की प्यास किस यात्री को ज्यादा लगी थी? शिष्य ने तुरंत उत्तर दिया की दूसरे यात्री को। गुरूजी फिर बोले, प्यास दूसरे यात्री को ज्यादा लगी थी। यह हम इसलिए कह सकते है क्योकि उसने प्यास बुझाने के लिए परिश्रम किया।
उसी प्रकार तुम्हारे सहपाठी में ज्ञान की प्यास है। जिसे बुझाने के लिए वह कठिन परिश्रम करता है। जबकि तुम ऐसा नहीं करते हो। शिष्य को भी अपने प्रश्न का उत्तर मिल चूका था और वह भी अब कठिन परिश्रम में जुट गया था।
ज्ञान उसी को जल्दी प्राप्त होता है जो ज्ञानपिपासु हो। इसलिए आप को तभी अपने लक्ष्य तक पहुंचने में सफलता मिलेगी जब आप अपने लक्ष्य तक पहुंचने के लिए जो भी रास्ता बिच में आएगा उसमे पुरे परिश्रम के साथ काम करोगे ।
- एक कदम अपने लक्ष्य की ओर
अगर आप अपने लक्ष्य पर काम नहीं करेंगे तो फिर आपको किसी दूसरे के लक्ष्य पर काम करना पड़ेगा। जिंदगी सिर्फ एक बार ही मिलती है, इसलिए हमें जो करना हो वो बिना समय व्यर्थ किये करना चाहिए। बाद में पछताने के अलावा और कुछ नहीं मिलता है। ये कहानी (एक कदम अपने लक्ष्य की ओर) उसी के बारे में है।
एक गधे का लक्ष्य था की वो अपनी जिंदगी में कुछ बड़ा करे। वो गधा कुछ ऐसा करना चाहता था की जिससे मरने के बाद भी लोग उसे याद करे और उसका नाम ले।
उस गधे का एक मालिक था, उस मालिक का भी लक्ष्य था की वो अपने क्षेत्र में सबसे बड़ा व्यापारी बने। वो अपने लक्ष्य को पूरा करने के लिए अपने गधे से दिन – रात काम करवाता है।
मालिक गधे पर बहुत भारी सामान लादा करता था, जिससे उसे ज्यादा मुनाफा मिल सके। गधे को ये डर था की वो कही अपने काम में असफल ना हो जाये और उसे खाने के लाले ना पड़ जाए। इस डर की वजह से ही वो अपने मालिक को छोड़ नहीं पाता था और अपनी पूरी जिंदगी अपने मालिक के लक्ष्य को पूरा करने में लगा देता है। Read more..
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