समस्या से निपटो – Motivational Story For Students In Hindi
इस कहानी में समस्या ( समस्या से निपटो – Motivational Story For Students In Hindi ) से निपटने के बारे में बताया गया है । जब समस्या छोटी होती है तभी हमें उसका हल ढूंढ लेना चाहिए क्योकि जब वो बड़ी हो जाती है तब उसका हल ढूँढना मुश्किल हो जाता है ।
एक बारह साल का लड़का हररोज अपने पिता के साथ सैर पर जाता था । एक दिन उस लड़के ने अपने पिताजी से कहा , चलो पापा आज हम रेस लगाते है । जो भी पहले सामने वाले मंदिर को छू लेगा वो रेस जित जायेगा ।
पिताजी तैयार हो जाते है । मंदिर की दुरी काफी थी । दोनों ने धीरे – धीरे दौड़ना शुरू कर दिया । कुछ देर दौड़ने के बाद पिताजी रुक जाते है । अपने पिताजी को ऐसे अचानक रुकते हुए देख वो लड़का उनसे पूछता है की , “क्या हुआ पापा ? ” , आप ऐसे अचानक क्यों रुक गए ?
पिता ने कहा , कुछ नहीं बेटा मेरे जूते में कुछ कंकड़ आ गए है , में उन्हें निकालने के लिए रुका हु । लड़के ने कहा पापा कंकड़ तो मेरे जूतों में भी है लेकिन में उन्हें नहीं निकालूंगा क्योकि अगर में रुक गया तो में रेस हार जाऊँगा , इतना बोलते हुए वो तेजी से दौड़ने लगा ।
पिताजी जब कंकड़ निकाल कर आगे बढे तक तब वो लड़का बहुत आगे बढ़ चूका था । अब उस लड़के को पाँव में दर्द हो रहा था और उसी वजह से उसकी गति भी अब कम होती जा रही थी । धीरे – धीरे पिताजी उसके करीब आने लगे थे ।
अपने बेटे के पैरो में तकलीफ देख कर पिताजी ने उसे कहा , बेटा तुम पहले अपने जूतों में से कंकड़ निकाल दो । बेटे ने कहा पापा मेरे पास इसके लिए अभी टाइम नहीं है । लड़का इतना बोलकर दौड़ता रहा ।
कुछ ही देर में पिताजी उससे आगे निकल गए । कंकड़ों के चुभने की वजह से लड़के को बहुत ज्यादा तकलीफ हो रही थी और अब उससे चला नहीं जा रहा था , वो बोला पापा अब मैं और नहीं दौड़ सकता ।
पिताजी जल्दी से दौड़कर वापिस अपने बेटे के पास आते है और उसके जूते खोलकर देखने लगते है । उन्होंने देखा की बेटे के पाँव से खून निकल रहा है । वो उसे घर ले जाते है और मरहम-पट्टी करते है ।
जब बेटो का दर्द कुछ कम होता है तब पिताजी उन्हें समझाते है , बेटा मेने आपसे कहा था की पहले अपने कंकडों को निकाल लो फिर दौड़ो । बेटे ने कहा पापा मेने सोचा की अगर में रुकुंगा तो में रेस हार जाऊंगा ।
पिताजी ने बेटे से कहा की बेटा अगर हमारी जिंदगी में कोई समस्या आती है तो हमें उसे ये कहकर नहीं टालना चाहिए की हमारे पास टाइम नहीं है । हम अगर समस्या को नजरअंदाज करते है तो वो धीरे-धीरे और बड़ी बन जाती है और अंत में हमें जितना नुकसान पहुंचा सकती थी उससे कहीं गुना ज्यादा नुकसान पहुंचा देती है । तुम्हे कंकड़ निकालने में ज्यादा से ज्यादा 1 मिनट का समय लगता पर अब तुम्हे 1 हफ्ते तक दर्द सहना होगा ।
हमारी लाइफ ऐसे कई सारे कंकड़ों से भरी हुई होती है । कभी रिस्तो में कडवाहट आ जाती है तो कभी Finance को लेकर हम परेशान हो जाते है , कभी हमें अपने साथ काम करने वाले Colleagues से परेशानी होती है ।
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रिस्तो की जिस कड़वाहट को हम एक Sorry बोलने से दूर कर सकते है वो देर करने पर अब टूट जाता है । एक छोटी सी बात -चित करने से अपने Colleagues के साथ जो भी Confusion है वो ख़त्म हो सकता है , वो बात अब Work Place Politics में बदल जाती है ।
अगर हम समस्या का समाधान नहीं करते है तो वो बहुत बड़ी समस्या बन जाती है । हमें बैठे रहने की जगह पर समस्या से निपटना चाहिए । हमें समस्या का हल तभी लाना चाहिए जब वो छोटी होती है , क्योकि देर करने पर वो उन कंकडों की तरह हमारा खून बहा सकती हैं ।
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