Moral

धीरज के फल – Moral Story In Hindi

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Written by Abhishri vithalani

धीरज के फल – Moral Story In Hindi

धीरज के फल मीठे होते है । ये कहावत हम सभी ने सुनी है पर फिर भी कई बार हम जिंदगी के कुछ निर्णय लेने में बड़ी जल्दबाजी कर देते है और बाद में हम अपने किये पर पछताते है । इस कहानी में भी एक गुरूजी अपने शिष्यों को धीरज के फल कैसे मीठे मिलते है वो उदाहरण के साथ समजाते है ।

पुराने समय की बात है । एक गुरु अपने शिष्यों के साथ एक गाँव से गुजर रहे थे । तभी गुरूजी को अचानक प्यास लगती है और वो अपने एक शिष्य को पानी लेने के लिए भेजते है ।

गुरूजी उनके शिष्य को ये भी बताते है की तुम सामने वाले तालाब में से मेरे लिए इस घड़े में पानी भरके ले आओ । उसके बाद गुरूजी बाकि सारे शिष्यों के साथ एक पेड़ के निचे बैठकर आराम करने लगते है ।

वो शिष्य अपने गुरूजी के लिए घड़ा लेकर पानी भरने के लिए तालाब की ओर जाता है । वो तालाब के पास जाकर देखता है की कुछ गाय – भेंस उस तालाब में नाह रहे थे और कुछ महिलाये उस तालाब में कपडे धो रही थी । तालाब का पानी बहुत ज्यादा गन्दा था । वो पानी पिने के लायक नहीं था ।

उस शिष्य को ये समज में नहीं आ रहा था की इतना गन्दा पानी वो कैसे अपने गुरूजी के लिए लेकर जाये । उसने थोड़ी देर इंतजार किया पर उसे कुछ समज नहीं आया और वो बिना पानी लिए वापिस चला गया ।

उसने गुरूजी के पास जाकर उनसे कहा की गुरूजी में आपसे माफ़ी मांगता हु क्योकि में आपके लिए पानी नहीं ला पाया । पानी बहुत ज्यादा गन्दा था और तालाब मे कुछ पशु नाह रहे थे और साथ ही कुछ महिलाये कपडे धो रही थी उसलिए पानी बहुत गन्दा था और में नहीं ला पाया ।

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गुरूजी ने उस शिष्य को कहा अच्छा ठीक है । हम लोग कुछ देर के लिए यही आराम करते है तुम भी आराम कर लो । शिष्य ने कहा अच्छा ठीक है गुरूजी ।

1 घण्टे के बाद वो गुरूजी उसी शिष्य को फिर से पानी लेने के लिए उस तालाब की ओर भेजते है । उसे कहते है की तुम मेरे लिए तालाब में से पानी लेकर आओ मुझे बहुत प्यास लगी है ।

वो शिष्य अब सोचने लगा की में वो गन्दा पानी गुरूजी के लिए कैसे लेकर आव , फिर भी गुरूजी के कहने पर वो दूसरी बार भी तालाब की तरफ जाता है । वहा पर जाकर उसने देखा की तालाब में जो पानी था वो साफ़ हो चूका था । जो मिट्टी और गंदकी थी वो सब बैठ चुकी थी और पानी एकदम साफ़ था ।

उसने घड़े में पानी भरा और गुरूजी के पास जाने लगा । गुरूजी के पास जाके उसने कहा की ये लो गुरूजी पानी पि लो । अब तालाब का पानी साफ हो गया है ।

गुरूजी ने कहा की में तुम सब को यही बात समजाना चाहता था और वो भी उदाहरण के साथ इसी लिए मेने तुमको पानी लेने के लिए भेजा था । गुरूजी ने सभी शिस्यो को समजाते हुए कहा की धीरज रखने से ये तालाब का पानी साफ हो गया , हमें कोई भी निर्णय लेने में धीरज रखनी चाहिए ।

धीरज रखने से काम हमेंशा अच्छा ही होता है । हमें कोई भी निर्णय जल्बाजी में नहीं चाहिए । शांति से लिया हुआ निर्णय हर बार अच्छा ही साबित होता है ।

Moral : धीरज के फल मीठे होते है ।

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Abhishri vithalani

I am a Hindi Blogger. I like to write stories in Hindi. I hope you will learn something by reading my blog, and your attitude toward living will also change.

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