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बीरबल के गुरु – Akbar Birbal Story In Hindi

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Written by Abhishri vithalani

बीरबल के गुरु – Akbar Birbal Story In Hindi

इस Story में बादशाह अकबर अपने मित्र बीरबल के गुरु के बारे में जानना चाहते है और बीरबल अकबर को अपने गुरु से मिलवाता भी है ।

एक दिन बादशाह अकबर के गुरु मक्का से चलकर दिल्ली आये थे अकबर के पास । अकबर के गुरु को रास्ता भी मालूम नहीं था और इस वजह से उन्हें दिल्ली तक पहुंचने में बड़ी मुश्किलों का सामना करना पड़ा था ।

बादशाह अकबर ने अपने गुरु की अच्छे से आगता – स्वागता की थी । कुछ दिन अकबर के महल में आनंद लेने के बाद गुरुजी वापिस मक्का चले जाते है ।

बादशाह अकबर के गुरूजी जब चले जाते है तब अकबर अपने मित्र बीरबल से पूछते है की बीरबल तुम्हारे भी कोई गुरु है की नहीं ? अगर तुम्हारे गुरु है तो वो कौन है ? वे कहा रहते है ?

बीरबल ने कहा जी मेरे भी गुरु है लेकिन वह किसी से बात भी नहीं करते है और किसी को कुछ बताते भी नहीं है । वो किसी से एक पैसा भी नहीं लेते है क्योकि उन्हें पैसो का लोभ नहीं है ।

बीरबल के गुरु के बारे में ये सब जानकर बादशाह अकबर को मन में श्रद्धा उत्पन्न हुई और उन्हें अब बीरबल के गुरु से मिलने की इच्छा भी हुई । अकबर ने बीरबल से कहा की क्या तुम मुझे तुम्हारे गुरु से मिलवा सकते हो ?

बीरबल ने कहा की वो कोशिश करेगा पर पक्का नहीं कह सकता की वो आप से मिलेंगे । बादशाह अकबर ने कहा अच्छा ठीक है । बीरबल अकबर से बात करने के बाद अपने घर चला जाता है ।

रास्ते में बीरबल को एक लकड़ी बेचने वाला बूढ़ा आदमी दिखता है । उस बूढ़े आदमी ने लकड़ियों का एक गठ्टर बांधा हुआ था और वो इधर – उधर भटक कर वो गठ्टर बेचने की कोशिश कर रहा था । बीरबल ने देखा की उसकी लकडिया बिक नहीं रही है और वो बूढ़ा आदमी परेशान हो रहा है ।

बीरबल ने उसके पास जाकर उस आदमी से लकड़ियों का दाम पूछा । बीरबल ने उनसे वो पूरा गठ्टर खरीद लिया और उस आदमी को अपने घर पर भी ले गया । बीरबल ने अपने घर ले जाकर उनसे कहा की लगता है आज – कल तुम्हे लकडिया बेचने में बहुत परेशानी हो रही है ।

उस बूढ़े आदमी ने बीरबल से कहा जी मुझे बहुत परेशानी हो रही है । मुझे अपनी लकड़ियों के सही दाम नहीं मिलते है । बीरबल ने उसकी पूरी बात सुनी और उसे अच्छे साफ-सुथरे वस्त्रों भी दिए । बीरबल ने उस बूढ़े आदमी को अच्छे वस्त्रों और काली जटा इत्यादि से युक्त ब्राहाम्ण साधु बना दिया ।

उसके बाद बीरबल ने उस आदमी को एक बड़े मंदिर के पीछे आसन पर बिठा दिया और उनसे कहा की तुम्हे मिलने बड़े – बड़े अमीर लोग आएंगे पर तुम्हे उनके सामने कुछ भी नहीं बोलने है ।

तुम्हे वो अमीर लोग कीमती चीज़े भी देंगे पर तुम्हे लोभ नहीं करना है और उन लोगो से कुछ भी बात नहीं करनी है । तुमसे कोई कुछ भी पूछे पर तुमको उसका जवाब नहीं देना है । बीरबल ने ये भी कहा की अगर तुम कुछ भी बोले तो तुम्हारी खैर नहीं मुझे सब पता चल जायेगा अगर तुमने कुछ भी बाते की उन लोगो से तो । बूढ़ा आदमी बोला अच्छा ठीक है ।

अब इस बूढ़े आदमी ने बीरबल की बातो का अच्छी तरह से स्वीकार कर किया था । बीरबल को जब यकीन हो गया उस आदमी पर तब वो दरबार में बादशाह अकबर से मिलने चला गया ।

बीरबल ने दरबार में जाकर बादशाह अकबर से कहा की वो अपने गुरु से अकबर को मिलवा सकता है । बीरबल के गुरु अकबर से मिलने के लिए तैयार हो गए है , ये बात सुनकर बादशाह अकबर बहुत खुश हो जाते है ।

बीरबल ने कहा की मेरे गुरूजी आपसे मिलेंगे लेकिन उन्होंने मुझे साथ आने के लिए साफ़ मना कर दिया है । आप सभी दरबारियों को अपने साथ ले जा सकते हो पर मुझे नहीं । बादशाह अकबर ने कहा अच्छा ठीक है ।

अकबर अपने दरबारियों के साथ बीरबल के गुरु को मिलने के लिए चले जाते है । अकबर ने गुरु के सामने जाकर अपना मस्तक झुकाया । गुरूजी तभी भी ध्यान में ही बैठे थे । कुछ देर के बाद बादशाह अकबर ने गुरु से पूछा की आपका निवास स्थान कहा पर है और आपका नाम क्या है ?

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गुरु तभी भी कुछ नहीं बोले । फिर अकबर बादशाह ने उनसे कहा की में तुम्हे मदद कर सकता हु में सारे हिंदुस्तान का बादशाह हु । इस बार भी वो गुरूजी कुछ नहीं बोले । अकबर बादशाह ने अब 50,000 का हार जो उन्होंने पहना था वो गुरु के चरणों में रख दिया पर इस बार भी वो गुरु कुछ नहीं बोले और ध्यान में ही बैठे रहे ।

आखिर वो गुरु चेला इसका था ! अकबर ने देखा की इतना महंगा हार देने के बाद भी ये तो कुछ भी नहीं बोला । अकबर ने अब गुस्से में आके उस गुरु से कहा की जो लोग अतिथि से ऐसा व्यवहार करे उनसे बाते करना भी मूर्खता ही है । बादशाह अकबर गुस्से में अब वह से चले जाते है ।

अपने दरबार में पहुंचकर वो बीरबल से कहते है की मुझे क्या पता था की मुझे तुम्हारे ऐसे मुर्ख गुरु से सामना करना पड़ेगा । अकबर ने बीरबल से ये भी पूछा की बीरबल ये बताओ अगर हमें कोई ऐसे मूर्ख मिले तो क्या करना चाहिए ?

बीरबल ने कहा की हमें उस समय चुप रहना चाहिए । बीरबल की ये बात सुनकर बादशाह अकबर लाल – पिले हो जाते है । उनकी रही सही मर्यादा पर भी पानी फिर गया था । अकबर को लगा की ऐसी बात कहकर वो बीरबल के गुरू को मूर्ख साबित करेंगे, पर उल्टे वो खुद ही मूर्ख साबित हुए ।

बादशाह अकबर को चुप देखकर बीरबल ने उनसे कहा की मेने आपसे पहले ही कहा था की मेरे गुरूजी को रूपये-पैसे का लालच नहीं है फिर भी आपने उन्हें लालच दिया । अपने अपशब्द बोलकर गुरू का अपमान भी किया ।

बीरबल ने कहा की आपको धन-दौलत का घमंड है, इसलिए वह आपसे नहीं बोले और चुप रहे । बीरबल की बात सुनकर अकबर बहुत लज्जित हो गए ।

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Abhishri vithalani

I am a Hindi Blogger. I like to write stories in Hindi. I hope you will learn something by reading my blog, and your attitude toward living will also change.

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