उल्लू राजा – Kids Short Story In Hindi
एक उल्लू बहुत खुश था। उसका खुशी होना भी लाजिमी था, उसे दिन में जो दिखाई देने लग गया था। वह मन ही मन सोचने लगा कि अब वह आसानी से उल्लुओ का राजा बन सकता है।
फिर उसे ख्याल आया कि उल्लुओ का ही क्यों वह तो सभी पंछियो का राजा बन सकता है। अन्य पंछी तो सिर्फ दिन में देख सकते है, रात को नहीं। वह तो रात और दिन दोनों समय देख सकता है।
उसने तुरंत बाग़ में रहने वाले सभी पंछियो की सभा बुलवाई। तोता, मैना, तीतर, बटेर, चिड़िया, कोयल, कौए और बया सभी उसके कहने से आ गए।
उल्लू ने कोयल से कहा, आज से मै सारे पंछियो का राजा हू। क्यों भाई… तुम ही सबके राजा हो… ऐसी तुझ में क्या विशेष बात है? अरे तुम को मालूम नहीं… आजकल मै उजाले में भी अच्छी तरह से देख सकता हू। उल्लू ने उछलते हुए कहा।
इसमें विशेष बात क्या है… हम सब भी तो उजाले में देख सकते है, तोते ने कहा। इस पर उल्लू बोला – अरे मै सिर्फ उजाले मै ही नहीं बल्कि साथ – साथ अँधेरे में भी देख सकता हू।
ये खूबी तो चमगादड़ में भी है… इसका मतलब वह भी राजा बन सकता है, कौए ने कांव – कांव करते हुए कहा। चिड़िया लपककर बोली, छोटा मुँह बड़ी बात… लेकिन में सच ही कहूँगी… पंछियो का राजा उल्लू कभी नहीं हो सकता । क्या तुमने हमें अपने जैसा उल्लू समझ रखा है?
अरे इसमें उल्लू वाली कौन सी बात आ गयी। मै हर पल अब सब की निगरानी कर सकता हू… दुश्मन से बचा सकता हू… मै तो लक्ष्मी माता की सवारी हू। बड़ा पवित्र पंछी हू। चारो तरफ अपनी गर्दन घुमा सकता हू। उल्लू ने अपनी पहचान बताते हुए कहा।
इस पर तीतर बोला, तुम से ज्यादा गुणी तो कोयल है, जो बहुत अच्छा गाती है। तोते की सुंदरता देखो। कबूतर की गुंटर गू… मोर भाई का नाच देखो। कौए की चतुराई पहचानो… बया की कारीगरी देखो। अरे भाई सबमे कुछ न कुछ गुण दिए है ईश्वर ने। राजा बनने वाली तुम में कोई विशेष बात नहीं है।
इस पर उल्लू को गुस्सा आ गया। वह बोला – तुम सब कुछ भी कर लो… आज से पंछीओ का राजा तो मै ही हू। ये कोई जबरदस्ती है? बया बोली।
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हां… जब घी सीधी ऊँगली से न निकले तो ऊँगली टेढ़ी करनी पड़ती है। उल्लू ने गर्दन घुमाते हुए कहा। लगता है उल्लू अपना उल्लू सीधा कर रहा है… इसको यहाँ से भगाने में ही अपनी भलाई है… भला पंछियो का भी कोई राजा होता है… हम स्वतंत्र है… हम सब अपने आप में ही राजा है, कौए ने गुस्से में कहा।
तुम ठीक कह रहे हो… कौए भाई… भगाओ इसको। इतना सुनते ही सारे पंछी उल्लू पर टूट पड़े। बचाओ… बचाओ…।
उल्लू जोर – जोर से चिल्लाने लगा। तभी उसकी माँ की आवाज उसके कानो में गुंजी, अरे मुंगेरी फिर सपनो में खो गए क्या… आज फिर कौन सा सपना देख लिया, जो नींद में ही चिल्लाने लगा, बचाओ…बचाओ …।
अरे माँ लाख – लाख शुक्र है तेरा… जो तू ने मुझे जगा दिया… वरना मै तो सपनो में ही पंछियो के हाथो मारा जाता। उल्लू ने आँखे मलते हुए कहा।
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