Moral Motivational

Story For Students In Hindi – पंडित जी और बकरी

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Written by Abhishri vithalani

Story For Students In Hindi – पंडित जी और बकरी

ये कहानी ( Story For Students In Hindi – पंडित जी और बकरी ) ऐसे लोगो के लिए है जो जल्‍द ही लोगों कि बातों में आ कर अपना लक्ष्‍य बदल देते है और असफल हो जाता है।

एक गांव में एक प्रसिद्ध पंडित रहता था। उस पंडित का नाम गंगाराम था। वह पंडित जिस गांव में रहता था उस गांव के प्रसिद्ध मंदिर में वो पूजा करता था। गंगाराम सिर्फ पूजा ही नहीं बल्कि सभी शादियां व सभी धार्मिक कार्य वही कराता था।

गंगाराम इतना प्रसिद्ध था कि आस-पास के सभी गांवो में उसकी चर्चा हुआ करती थी और सभी लोग उस पंडित का बहुत आदर किया करते थे।

गंगाराम पंडित इतने प्रसिद्ध थे कि सभी लोग उन्‍ही से अपना धार्मिक कार्य कराने के लिए दूर-दूर गांव से बुलाया करते और अच्‍छा दान भी दिया करते थे।

एक बार पंडित जी अपने गांव से दूसरे गांव शादी कराने के लिए गए थे। वह गांव पंडित जी के गांव से 3-4 गांव छोड कर था। पंडित जी जब शादी कराने के बाद वहां से लौट रहे थे तो उन्‍हे एक बकरी भेंट स्‍वरूप दी गई।

गंगाराम बकरी को लेकर पैदल अपने रास्‍ते धीरे-धीरे लौट रहे थे क्‍योंकि उनका गांव 4 गांव के बाद था। जिस रास्‍ते से गंगाराम लौट रहे थे उस रास्‍ते पर चार ठग रहते थे और वह आने जाने वाले लोगों को लूटा करते थे।

जब उन चार ठगों ने पंडित जी को देखा तो बोलने लगे आज तो सुबह से कोई नहीं मिला है और हमारे खाने पीने की व्‍यवस्‍था भी नहीं हुई। चलो आज हम इस पंडित को ही लूट लेते हैं और इनसे ये बकरी चुरा लेते हैं।

किन्तु उन में से एक ठग बोलता है अगर पंडित जी को हमने मारा तो सारे गांव वाले हमें छोडेंगे नहीं और हमें बहुत पाप लगेगा। ये चारो ठग पंडित जी से बकरी छुडाने कि एक नई तरकीब निकालते हैं और चारो ठग अपने अपने काम पर लग जाते हैं।

गंगाराम जब पहले गांव पहुंचने वाले होते हैं तो वहां पहला ठग उन्‍हें मिलता है। ये ठग एक साधारण व्‍यक्ति कि तरह पंडित जी से राम-राम करता है और उनके पैर पड़ने के लिए झुकता है, लेकिन वह रुक जाता है और पंडित जी से बोलता है। पंडित जी आप तो बहुत ज्यादा प्रसिद्ध पंडित हैं और लोग आप कि बहुत इज्‍जत करते हैं ,लेकिन ये क्या आप इस गधे के साथ क्‍या कर रहे हैं?

पहले ठग की बात सुनकर पंडितजी गुस्‍सा हो जाते हैं और बोलते हैं अरे मूर्ख ये गधा नहीं ये बकरी है बकरी। लेकिन वह ठग पंडित जी से कहता है की ये बकरी नहीं गधा है, आपको किसी ने बेवकूफ बनाया है।

पंडित जी फिर गुस्‍से से कहते हैं कि तू ही मूर्ख है, यह गधा नहीं बकरी है , और इतना बोलकर पंडित जी आगे निकल जाते है। पंडित जी आगे तो निकल गए लेकिन इस घटना की वजह से पंडितजी के दिमाग में एक हल्‍का सा भ्रम हो गया।

धीरे-धीरे पंडित जी आगे बढ़ ही रहे थे और वो दूसरे गांव पहुंचने ही वाले थे कि उन्‍हे वहां दूसरा ठग मिला जो कि बिल्‍कुल साधारण व्‍यक्ति कि तरह वहां खड़ा था। वो दूसरा ठग पंडित जी से राम-राम करता है और उनके पैर पड़ने के लिए झुकता है, लेकिन वह भी पहले ठग की तरह रुक जाता है।

पंडित जी उस दूसरे ठग को ऐसे रुकते हुए देखकर पूछते है क्‍या हुआ? रुक क्‍यूं गए? तो वह बोलता है पंडित जी आप इस गधे को साथ लेकर क्‍यूं घूम रहे हो इससे आप खंडित हो जाओगे और लोग आपके बारे में क्‍या सोचेंगे, इससे बेहतर आपके लिए यही है की आप इस गधे को भगा दो।

इस दूसरे ठग की बात सुनकर पंडित जी को बहुत गुस्सा आता है और बोलते हैं तुम मूर्ख हो दिखाई नहीं देता यह बकरी है और तुम बोल रहे हो गधा है।

दूसरा ठग बोलता है कि पंडित जी आप को किसी ने पागल बना दिया यह बकरी नहीं यह तो गधा है, और ये आपके साथ रहेगा तो आपकी क्‍या इज्‍जत रह जाएगी।

यह सुनते ही पंडित जी सोचने लगे कि यह क्‍या बोल रहा है मैं तो बकरी लाया हूं पर ये सब इसे गधा क्‍यूं बोल रहे हैं, कहीं मैं सच में गधे को लेकर तो नहीं घूम रहा हूं। अब पंडित जी सोच में पड़ जाते है और वो ठग वहा से चला जाता है और पंडित जी भी आगे बढ़ने लगते हैं।

पंडित जी के दिमाग में अभी भी यही बात चल रही थी की ये बकरी है या गधा।

जब पंडित जी तीसरे गांव में पहुंचने वाले होते हैं तो उन्‍हें वहां तीसरा ठग मिलता है। वो भी पंडित जी से राम-राम करता है और पैर पड़ने के लिए झुकता है लेकिन रुक जाता है, तो पंडित जी पूछते हैं क्‍या हुआ, तो वह ठग पंडित जी से बोलता है पंडित जी बाकी सब तो ठीक है आप इस गधे को साथ में लेकर क्‍यूं घूम रहे हो?

तीसरे ठग की बात सुन कर पंडित जी कहते हैं कि मैं इस गधे को गांव के बाहर छोडने जा रहा हूं, मुझे रास्‍ते में दयनीय हालत में मिला था और पंडित जी वहां से निकल जाते हैं।

ये तीन ठगो की बात सुनकर पंडित जी का विश्‍वास खुद से उठ जाता है और उन्‍हें लगता है कि लोग सही बोल रहे हैं और मैं गलत हूं। लेकिन फिर सोचते हैं कि मैं सही हूं।

इसी तरह उनका विश्‍वास खुद पर से गिरने लगता है और सोचते हैं कि मैं अपने गांव पहुंचने वाला हूं अगर ये बकरी नहीं हुई और गधा हुआ तो लोग मेरे बारे में क्‍या सोचेंगे?

इन्ही सब विचारो के चलते पंडित जी चौथे गांव पहुंचने वाले होते हैं कि उन्‍हें चौथा ठग मिलता है और वो भी पंडित जी से राम-राम करता है और पैर पड़ने के लिए झुकता है लेकिन वो भी रुक जाता है, पंडित जी इस चौथे ठग से पूछते हैं क्‍या हुआ, तो वह ठग पंडित जी से कहता है की पंडित जी आप इस गधे को साथ में लेकर क्‍यूं चल रहे हो?

पंडित जी उस चौथे ठग से कहते हैं कि मैं इस गधे को गांव के बाहर छोडने ही वाला था, तो वह ठग बोलता है कि पंडित जी यह गधा आपको शोभा नहीं देता ,लोग आपके बारे में क्‍या सोचेंगे? आप इसे मुझे दे दीजिए मैं इसे बाहर छोड आउंगा।

इसी के साथ पंडित जी अपने आप पर विश्‍वास को खो देते हैं और उस बकरी को गधा समझ कर उस ठग को दे देते हैं और अपनी बकरी को छोड कर आ जाते हैं।

उन चारो ठगो की ये तरकीब काम कर जाती है और वह पंडित जी से बकरी छुडा लेते हैं और उसे बेचकर पैसा कमा लेते हैं।

Moral : हमें खुद पर विश्‍वास रखना चाहिए। दूसरा व्‍यक्ति क्‍या कह रहा है उससे हमें कोई फर्क नहीं पड़ना चाहिए क्‍योंकि रास्‍ता भटकाने वाले बहुत मिलेंगे। इस कहानी में भी वही हुआ है अगर पंडित जी को खुद पर पूरा विश्‍वास होता कि हां ये बकरी ही है तो वह अपनी बकरी को ठगों को नहीं देते। इसी तरह हमें भी अपने ऊपर विश्‍वास रखना होगा।

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Abhishri vithalani

I am a Hindi Blogger. I like to write stories in Hindi. I hope you will learn something by reading my blog, and your attitude toward living will also change.

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