Old Story In Hindi – ब्राह्मण की चतुराई
घी जब सीधी उंगली से न निकले तो उंगली टेढ़ी करनी ही पड़ती हे। ये कहावत तो आप सभी ने सुनी होगी। इस कहानी (Old Story In Hindi – ब्राह्मण की चतुराई) में भी एक ब्राह्मण अपना खोया हुआ धन सीधेपन की राह को छोड़कर चतुराई का मार्ग अपना कर वापस ले लेता है। वो ये सब कैसे करता है ये जानने के लिए आपको पढ़नी पड़ेगी ये कहानी।
एक ब्राह्मण को तीर्थ यात्रा पर जाना था। ब्राह्मण ने तीर्थ यात्रा पर जाने से पहले अपने खर्चे के लिए कुछ धन खुद के पास रखा और बाकी का सारा धन अपने पड़ोसी नगर सेठ के पास जमा करवाया।
ब्राह्मण ने उस सेठ से कहा की मै ये धन तीर्थ यात्रा से लौटने पर वापिस ले लूंगा। उस नगर सेठ ने कहा अच्छा ठीक है।
कई सालो के बाद ब्राह्मण तीर्थ यात्रा से वापिस लौटे। जब ब्राह्मण को अपने धन की आवश्यकता हुई तो वह नगर सेठ के पास अपना धन वापिस लेने के लिए पहुंचे।
पर ये क्या? नगर सेठ ने धन वापिस करने से इंकार कर दिया और कहा कि अगर तुमने मेरे पास धन जमा करवाया है तो उसका प्रमाण दिखाओ। नगर सेठ की बात सुनकर ब्राह्मण बहुत परेशान हो गया और उसे समज में नहीं आ रहा था की अब वो क्या करे।
कुछ समज में ना आने पर ब्राह्मण राजा के पास पहुंचा, किंतु प्रमाण न होने के कारण राजा भी कुछ करने में असमर्थ था।
ब्राह्मण को एक उपाय सूझा जिससे नगर सेठ बिना कुछ कहे ही उसका धन वापिस कर दे। ब्राह्मण ने वह उपाय राजा को बताया। ब्राह्मण की बात से राजा भी सहमत हो गया।
अगले दिन राजा नगर भ्रमण करने के लिए निकला। भ्रमण करते हुए राजा ब्राह्मण के घर के पास पहुंचा। ब्राह्मण अपने घर के बाहर ही खड़ा था।
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राजा ने ब्राह्मण को “गुरुदेव” कहकर संबोधित किया और उन्हें आदर सहित अपने रथ पर बिठा लिया। ब्राह्मण का पड़ोसी नगर सेठ ये सब देख रहा था।
अब नगर सेठ सोचने लगा की राजा तो ब्राह्मण का बहुत आदर सम्मान करता है। अगर ब्राह्मण ने राजा को मेरी शिकायत कर दी तो मुझे दंड मिल सकता है। इस दंड से बचने के लिए यही सही होगा की मैं ब्राह्मण का धन उसे वापस लौटा दूं।
अगले दिन नगर सेठ ब्राह्मण के घर पहुंचा और क्षमा मांगते हुए सम्मान सहित उसका सारा धन वापस लौटा दिया।
ब्राह्मण ने जैसा सोचा था बिलकुल वैसा ही हुआ और उसे उसका धन आसानी से वापस मिल गया।
Moral : जिंदगी में कई बार ऐसा भी होता है कि आपके पास अपनी सच्चाई का सबूत नहीं होता है। ऐसी परिस्थितियों में काम निकालने के लिए सीधेपन की राह को छोड़कर चतुराई का मार्ग अपनाना बहुत ज्यादा जरूरी होता है।
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