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लोहार की महानता – Inspirational Story In Hindi

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Written by Abhishri vithalani

लोहार की महानता – Inspirational Story In Hindi

ये Story उन लोगो के लिए है जो इतनी हद तक लालच करते है की उनकी वजह से दूसरे लोगो को परेशानी होती है । हमें उतनी भी लालच नहीं करनी चाहिए की हमारी वजह से दूसरे परेशान हो ।

एक बार एक बढ़ई अपने गांव से किसी सेठ के पास शहर में काम करने गया । एक दिन ऐसा हुआ की काम करते – करते उस बढ़ई की आरी टूट गयी । वो बढ़ई के लिए बिना आरी काम करना Possible नहीं था । वापिस गांव जाना भी Possible नहीं था क्योकि उसका गांव शहर से काफी दूर था ।

बढ़ई ने सोचा की में जो पास में गांव है वहा जाकर किसी लोहार से नयी आरी बनवा लेता हु । वो पास के किसी गांव में जाता है और फिर वहा पर उन्हें एक लुहार मिलता है । वो उस लोहार से Request करता है की मुझे जल्द से जल्द एक अच्छी आरी बना के दो ।

लोहार कहता है की में आपको कल बना के दे दूंगा । वो बढ़ई लुहार से कहता है की में आपको ज्यादा पैसे दूंगा पर मुझे आप आरी आज ही बना के दे दो । तभी लुहार बढ़ई से कहता है की मुझे ज्यादा पैसे नहीं चाहिए पर में अगर ये काम जल्दबाजी से करुगा तो उससे मुझे संतुष्टि नहीं होगी और में अपना काम करने में कोई भी कमी नहीं रखना चाहता हु ।

लोहार ने कहा की आप कल इस समय आकर अपना औजार लेकर जाये में अच्छे से बना के दूंगा । बढ़ई ने कहा ठीक है में कल ले जाऊंगा । दूसरे दिन बढ़ई आरी लेने जाता है और फिर आरी लेकर वापिस वो सेठ के यहाँ काम करने पर जाता है ।

आरी इतनी अच्छी बानी थी की बढ़ई का काम अब पहले से काफी आसान हो गया था । उस आरी से वो बड़े ही आसानी के अपना काम कर सकता था । सेठ ने देखा और पूछा की तुम्हे ये आरी कितने रूपये में बना के दी । बढ़ई ने कहा की मुझे एक लोहार ने सिर्फ 50 रूपये में आरी बना के दी ।

सेठ ने देखा की ये आरी काफी अच्छी थी और उन्होंने बढ़ई से उस लुहार का पता पूछा । बढ़ई ने उस लुहार का पता अपने सेठ को बताया । दूसरे ही दिन वो सेठ उस लुहार से पास पहुंच गए और कहा की में आपको ऐसी 100 आरी बनाने का काम देता हु पर शर्त यह है की आपको सिर्फ मेरा ही काम करना होगा बाकि किसी का नहीं ।

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लुहार ने कहा की जी में ये काम करने के लिए तैयार नहीं हु । सेठ ने कहा की अच्छा ठीक है में आपको प्रति आरी के 50 नहीं बल्कि 80 रूपये दूंगा । यानि की में आपको इस 100 आरी के पुरे 8000 रूपये दूंगा । लुहार ने फिर भी मना कर दिया और कहा की में आपकी शर्त नहीं मान सकता ।

सेठ ने आश्चर्य से कहा की आप बड़े अजीब आदमी हो , भला कोई आती हुई लक्ष्मी के लिए कैसे मन कर सकता है । तभी लोहार ने कहा की मुझे पता है की आप मुझसे आरी बनवाएंगे और फिर उसके दुगने दाम में आप गरीब खरीदारों को बेचेंगे । ऐसा करने से उन गरीबो का शोषण होगा । अगर में लालच करुगा तो फिर उसकी वजह से उन लोगो को परेशानी होगी और इस लिए में आपका काम करने के लिए तैयार नहीं हु ।

लोहार की बात सुनकर सेठ समज गए की ईमानदार लोगो को दुनिया की कोई भी दौलत नहीं खरीद सकती है । लोहार की तरह दुसरो से बारे में सोचना भी एक महान गुण होता है । अगर लोहार चाहता तो फिर वो इस सेठ की बात मानकर अच्छे पैसे कमा सकता था । लेकिन उसने ऐसा नहीं किया और ज़रूरतमंद लोगों के बारे में सोचा और लालच में नहीं पड़ा ।

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Abhishri vithalani

I am a Hindi Blogger. I like to write stories in Hindi. I hope you will learn something by reading my blog, and your attitude toward living will also change.

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