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गुरु-दक्षिणा – Motivational Story In Hindi

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Written by Abhishri vithalani

गुरु-दक्षिणा – Motivational Story In Hindi

इस कहानी में एक गुरु अपने शिष्य को जीवन क्या है वो सिखाते है । ज्यादा जानने के लिए आपको पढ़नी होगी ये कहानी ( गुरु-दक्षिणा – Motivational Story In Hindi ) ।

एक दिन एक शिष्य अपने गुरु से पूछता है की गुरुजी कुछ लोग ऐसा बोलते है की जीवन एक संघर्ष है, कुछ लोग ये बोलते है की जीवन एक खेल है और कुछ लोग तो जीवन को एक उत्सव मानते है अब आप ही मुझे बताये की सही क्या है ?

गुरूजी ने अपने शिष्य से कहा की बेटा जिसे गुरु मिल गया उनके लिए जीवन एक खेल है , जिसे गुरु नहीं मिला उसके लिए जीवन एक संघर्ष है और जो गुरु के बताये हुए मार्ग पर चलते है उसके लिए जीवन एक उत्सव बन जाता है ।

गुरुजी का ये उत्तर सुनने के बाद भी शिष्य पूरी तरह से संतुष्ट न हुआ । गुरूजी को ये बात पता चल गयी की मेरा शिष्य मेरे उत्तर से संतुष्ट नहीं है । गुरूजी ने अपने शिष्य से कहा की में तुम्हे एक कहानी सुनाना चाहूंगा इसके बारे में , तुम इस कहानी को ध्यान से सुनोगे तो तुम्हे खुद अपने प्रश्न का जवाब मिल जायेगा ।

कहानी कुछ ऐसी थी –

एक दिन किसी गुरुकुल में दो शिष्य का अध्ययन समाप्त होने पर वो अपने गुरूजी से ये पूछने के लिए जाते है की गुरूजी आप हमें बताइये की आपको हमसे गुरु-दक्षिणा में क्या चाहिए ?

गुरूजी अपने शिष्य से मुस्कुराते हुए कहते है की मुझे गुरु-दक्षिणा में तुमसे एक थैला भर के सूखी पत्तियां चाहिए । क्या तुम ला सकोगे ?

वो दोनों गुरूजी की गुरु-दक्षिणा सुनकर बहुत खुश हो जाते है और उनसे कहते है की क्यों नहीं गुरूजी , हम आपकी ये इच्छा बड़ी आसानी से पूरी कर देंगे । गुरूजी कहते है अच्छा तो कर के दिखाओ । वो दोनों बोले जी जरूर हम ये आसानी से कर लेंगे ।

दोनों शिष्य उत्साहपूर्वक चलते – चलते एक जंगल की तरफ जाते है । उन दोनों को लगता है की जंगल में बहुत सारी सूखी पत्तियां पड़ी होगी हम उन में से एक थैला भर के गुरूजी को आसानी से गुरु-दक्षिणा दे देंगे ।

कुछ समय के बाद वो दोनों जंगल में पहुंच जाते है । जंगल में जाकर वो दोनों देखते है की यहाँ पर तो सिर्फ एक मुट्ठी भर ही सूखी पत्तियां पड़ी है । ये देखकर वो दोनों बड़े निराश हो जाते है ।

वो दोनों ये सोचने लगते है की आखिर इतनी सारी सूखी पत्तियां कौन उठा कर ले गया ? और ले भी गया तो उनके किस काम आएगी ये सूखी पत्तियां ? वो दोनों अब परेशान हो जाते है की अब हम गुरूजी को कैसे गुरु-दक्षिणा देंगे ।

तभी उन दोनों को दूर से कोई व्यक्ति आता हुआ दिखाई देता है । वो दोनों उस व्यक्ति के पास जाते है और उनसे कहते है की हमें एक थैला सुखी पत्तिया चाहिए क्या आप हमें दे सकते हो ?

वो व्यक्ति कहता है की मुझे माफ़ कर दो में आपकी मदद नहीं कर पाउँगा क्योकि मेने सारी सुखी पत्तिया ईंधन के रूप में पहले ही उपयोग कर ली है । ये सुनकर वो दोनों फिरसे निराश हो जाते है ।

वो दोनों अब पास में एक छोटा सा गांव था वहा पर जाते है । उन दोनों को लगता है की यहाँ पर हमारी कोई मदद करेगा । वो दोनों गांव में एक व्यपारी को देखते है और उनसे विनती करते है की आप हमें एक थैला भर कर सुखी पत्तिया दीजिये ।

वो व्यपारी उनसे कहता है की मेने तो पहले ही उन पत्तियों को अलग-अलग करके कई प्रकार की ओषधिया बनाकर बेच दी है । अब और कोई जगह नहीं थी जहा से इन दोनों शिष्य को सुखी पत्तिया मिल पाए ।

वो दोनों निराश होकर गुरु के पास जाते है और उनसे कहते है की गुरूजी आप हमें माफ़ कर दीजिये हम आपकी इच्छा पूरी नहीं कर पाये । हमें लगा की सूखी पत्तियां तो जंगल में सर्वत्र बिखरी ही रहती होंगी लेकिन बड़े ही आश्चर्य की बात है कि लोग उनका भी कितनी तरह से उपयोग करते है ।

गुरूजी मुस्कुराते हुए बोले की आप निराश क्यों होते हो । सूखी पत्तियां भी व्यर्थ नहीं हुआ करती बल्कि उनके भी अनेक उपयोग हुआ करते हैं यही ज्ञान मुझे गुरु – दक्षिणा में दे दो । दोनों शिष्य गुरुजी को प्रणाम करके खुशी-खुशी अपने-अपने घर की ओर चले जाते है ।

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ये कहानी शिष्य बहुत ध्यान से सुन रहा था वो बोला गुरूजी अब मुझे अच्छी तरह से पता चल गया की आप क्या कहना चाहते हो । जब सुखी पत्तिया भी बेकार नहीं होती है तो फिर हम कैसे किसी व्यक्ति को छोटा मानकर उसका तिरस्कार कर सकते हैं ? सभी का अपना अपना अलग महत्व होता है ।

गुरूजी ने कहा हां बेटा में तुम्हे यही समजाना चाहता था की हम जब किसी से भी मिले तो हमें उसे मान देने का प्रयास करना चाहिए और इसी से आपस में सहानुभूति एवं सहिष्णुता का विस्तार होता है और हमारा जीवन संघर्ष के बजाय एक उत्सव बन जाता है ।

यदि जीवन को एक खेल ही माना जाए तो बेहतर यही होगा कि हम शांत प्रतियोगिता में ही भाग लें और अपने निर्माण को ऊंचाई के शिखर पर ले जाने का प्रयत्न करें ।

अब शिष्य गुरु की बात को अच्छे से समज गया था और वो संतुष्ट भी था ।

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Abhishri vithalani

I am a Hindi Blogger. I like to write stories in Hindi. I hope you will learn something by reading my blog, and your attitude toward living will also change.

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